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Monday, October 28, 2024

रांची सदर अस्पताल समेत इन अस्पतालों में लगेगी लेटेस्ट MRI और सिटी स्कैन मशीन, 132 करोड़ रुपए आवंटित



इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने 132 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। एक थ्री टेसला MRI मशीन की लागत 17 करोड़ रुपए होगी
झारखंड में अब मरीजों को हाइटेक सुविधा (Hi-Tech Facility) मिलेगी। राज्य के अस्पतालों में लेटेस्ट MRI और City ​​Scan Machine लगाई जाएगी।
इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने 132 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। एक थ्री टेसला MRI मशीन (Three Tesla MRI Machine) की लागत 17 करोड़ रुपए होगी। वहीं 256 स्लाइस वाले एक सिटी स्कैन वाली मशीन की कीमत पांच करोड़ रुपए होगी।
सभी मशीनों की खरीद टेंडर के जरीए की जाएगी। संस्थान के प्राचार्य,अधीक्षक, सिविल सर्जन द्वारा क्रय किए गए मशीन उपकरण, उपस्कर, आदि के संचालन, सुख्क्षा एवं रख-रखाद की सुचारू व्यवस्था सुनिश्थित की जाएगी।
राज्य के इन अस्पतालों में लगेगी मशीन
० MGM हॉस्पीटल जमशेदपुर
० शहीद निर्मल महतो चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल, धनबाद
० शेख भिखारी चिकित्सा महाविद्यालय, हजारीबाग
० फूलो-झानो चिकित्सा महाविद्यालय, दुमका
० मेदिनी राय चिकित्सा महाविद्यालय
० सदर हॉस्पीटल रांची
Ranchi Sadar Hospital Among Beneficiaries of Rs 132 Crore Allocation for Advanced Medical Equipment
The health department has allocated Rs 132 crore to install latest MRI and CT scan machines in various hospitals across Jharkhand. A three-tesla MRI machine will cost Rs 17 crore, while a 256-slice CT scan machine will cost Rs 5 crore. The machines will be purchased through tender.
Beneficiary hospitals:

- MGM Hospital, Jamshedpur
- Shaheed Nirmal Mahto Medical College and Hospital, Dhanbad
- Sheikh Bhikhari Medical College, Hazaribag
- Phulo-Jhano Medical College, Dumka
- Medini Ray Medical College
- Sadar Hospital, Ranchi


केरल में क्यों नहीं मनाई जाती दिवाली? तमिलनाडु और कर्नाटक में ये हैं मान्यताएं

चेन्नई : दीवाली नजदीक है और भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों में रहने वाले भारतीयों में इसको लेकर उत्सुकता चरम पर है. इन सबसे बीच भारत के ही एक राज्य केरल में दीपावली पर वैसा उत्साह नहीं नजर आ रहा.
यहां हल्के-फुल्के अंदाज में दिवाली मनाई जाती है. आइए जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर ऐसा क्यों है?
एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया था कि केरल में दिवाली इसलिए नहीं मनाई जाती है, क्योंकि यहां हिंदुओं की संख्या दूसरे धर्मों के लोगों के मुकाबले कम है. हालांकि, सोशल मीडिया पर इसको लेकर बवाल मचा तो मीडिया हाउस ने अपना वीडियो वापस ले लिया था.
 असल में केरल एक बहुसंस्कृतियों वाला राज्य है और 2011 की जनगणना के अनुसार केरल की कुल जनसंख्या में 54.73 फीसद हिंदू हैं. 26.56 प्रतिशत मुस्लिम और 18.38 फीसद ईसाई हैं. ऐसे में यह कहना गलत है कि हिंदुओं की संख्या कम होने के कारण केरल में दिवाली मनाई जाती है.

ओणम धूमधाम से मनाया जाता

वास्तव में उत्तर भारत की तरह केरल में धूमधाम से दिवाली नहीं मनाई जाती, बल्कि हिंदुओं के दूसरे त्योहार ओणम और विष्णु वहां अधिक उत्साह के साथ मनते हैं. इसी तरह से क्रिसमस और ईद भी उत्साहपूर्वक मनाई जाती है. इन सभी त्योहारों में पूरी आबादी हिस्सा लेती है. फिर भी केरल ने अब की उत्तर भारतीय त्योहारों को अपना लिया है. हालांकि, इनमें कुछ न कुछ बदलाव दिखाई देता है. राज्य में उत्तर भारतीयों की मौजूदगी और हिंदी फिल्मों के प्रभाव के कारण अब कॉलेजों में होली खूब मनाई जाती है.

नरकासुर वध का प्रतीक

ऐसे में दिवाली धूमधाम से न मनाने के कई कारण हैं. उत्तर भारत में दीपावली राम के रावण पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटने के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है. वहीं, केरल में भगवान कृष्ण लोगों के प्रिय हैं. केरल में मान्यता है कि भगवान कृष्ण के नरकासुर वध का प्रतीक है दीपावली.

पौधों की रोपाई का समय

केरल में दिवाली त्योहार के कम उत्साह से मनाने का एक और कारण है कृषि का पैटर्न. उत्तर भारत में दिवाली फसलों की कटाई के बाद मनाई जाती है. वहीं, ट्रॉपिकल क्लाइमेट और मानसून की वापसी का केरल के कृषि सीजन पर असर पड़ता है. केरल की नगदी फसलों नारियल और मसालों आदि का सीजन उत्तर भारत में गेहूं की फसल के सीजन से अलग होता है. उत्तर भारत में जहां दिवाली मानसून के खात्मे और सर्दी की शुरुआत में मनाई जाती है, वहीं केरल में यह समय नॉर्थ-ईस्ट मानसून के शुरुआत का होता है. ओणम मनाने के बाद यहां अगस्त-सितंबर में किसान नई फसलों के पौधे रोपते हैं. ऐसे में दिवाली धूमधाम से नहीं मना पाते.

तमिलनाडु और कर्नाटक में ये हैं मान्यताएं

दक्षिण भारत के अन्य राज्यों में दिवाली की बात करें तो वहां भी इसे थोड़ा अलग तरीके से मनाया जाता है. तमिलनाडु में दीपावली को नरक चतुर्दशी पर्व के रूप में मनाया जाता है. यहां केरल जैसी ही मान्यता है कि यह भगवान श्रीकृष्ण द्वारा नरकासुर राक्षस के वध करने का प्रतीक है. वहीं, कर्नाटक में दिवाली को बाली चतुर्दशी के रूप में मनाने की मान्यता है. यह भगवान विष्णु द्वारा राक्षस बाली के वध का प्रतीक है.

Why is Diwali Not Celebrated in Kerala? Beliefs in Tamil Nadu and Karnataka

Chennai: As Diwali approaches, excitement is peaking not only in India but also among Indians worldwide. However, the same level of enthusiasm is not visible in Kerala. Here, Diwali is celebrated on a smaller scale. Let’s explore the reasons behind this.
A media report had suggested that Diwali is not widely celebrated in Kerala because the Hindu population here is lower than followers of other religions. However, after backlash on social media, the media house withdrew the video. In reality, Kerala is a multi-cultural state. According to the 2011 census, 54.73% of Kerala’s population are Hindus, followed by 26.56% Muslims and 18.38% Christians. Therefore, it is inaccurate to say that Diwali is not celebrated due to the small number of Hindus.

Onam is Celebrated with Great Fervor

Unlike in North India, Diwali is not celebrated with grand enthusiasm in Kerala. Instead, festivals like Onam and Vishu are celebrated with greater zeal among Hindus. Similarly, Christmas and Eid are also observed with much excitement, involving people from all communities. However, northern Indian festivals are gradually gaining popularity in Kerala, partly due to the presence of North Indians and the influence of Hindi films. For example, Holi is now celebrated enthusiastically in colleges across the state.

Symbolism of Narakasura's Defeat

There are several reasons why Diwali is not as grand in Kerala. In North India, Diwali commemorates Lord Rama's return to Ayodhya after his victory over Ravana. However, in Kerala, Lord Krishna is particularly revered. Here, Diwali symbolizes the slaying of the demon Narakasura by Lord Krishna.

Impact of Agricultural Practices

Another reason for the subdued Diwali celebration is the agricultural cycle. In North India, Diwali coincides with the harvest season, while in Kerala, the tropical climate and the return of the monsoon influence farming schedules. Cash crops like coconut and spices are cultivated at different times than wheat in the north. While Diwali marks the end of the monsoon and the beginning of winter in North India, it coincides with the arrival of the northeast monsoon in Kerala. After celebrating Onam in August-September, farmers in Kerala plant new crops, making it difficult to celebrate Diwali with much fanfare.

Diwali in Tamil Nadu and Karnataka

In other southern states, Diwali is celebrated with some regional variations. In Tamil Nadu, it is observed as Naraka Chaturdashi, symbolizing the defeat of the demon Narakasura by Lord Krishna, similar to the belief in Kerala. In Karnataka, it is known as Bali Chaturdashi, symbolizing the victory of Lord Vishnu over the demon king Bali.