जयपुर : जगदगुरु रामभद्राचार्य ने जयपुर में चल रही रामकथा के दौरान घोषणा की है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट से श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले का फैसला नहीं आ जाता, वे किसी भी कृष्ण मंदिर में दर्शन नहीं करेंगे। उन्होंने जयपुर की गलता पीठ पर भी रामानंद संप्रदाय का हक जताया और जल्द ही उसे प्राप्त करने का विश्वास भी व्यक्त किया। रामभद्राचार्य ने जयपुर में रामथा के दौरान बड़ी बात कही
श्रीकृष्ण जन्मभूमि के फैसले तक कृष्ण मंदिर में दर्शन न करने की बात कही
जयपुर में उनकी 9 दिवसीय रामकथा के दौरान उनका बयान
जयपुर : देश में रामानंद संप्रदाय के मौजूदा चार जगदगुरुओं में से एक रामभद्राचार्य ने कहा है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट से श्रीकृष्ण जन्मभूमि के जमीन मामले का फैसला नहीं आएगा तब तक वे किसी भी कृष्ण मंदिर में जाकर दर्शन नहीं करेंगे। जगदगुरु रामभद्राचार्य इन दिनों जयपुर में हैं और शहर के विद्याधर नगर स्टेडियम में 9 दिवसीय रामकथा का वाचन कर रहे हैं। गुरुवार 7 नवंबर को रामकथा के पहले दिन हजारों की संख्या में भक्त स्टेडियम में मौजूद थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि जयपुर में वे गोविंद देवजी के दर्शन करना चाहते थे लेकिन जब तक मथुरा (यूपी) के कृष्ण जन्मभूमि का फैसला नहीं आ जाता, तब तक वे किसी भी मंदिर में जाकर दर्शन नहीं करेंगे। उनके इस प्रण के बाद सभा में तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी
गलता गद्दी हमारी, हमें मिलकर रहेगी जयपुर के गलता पीठ को लेकर भी जगदगुरु रामभद्राचार्य ने अपनी बात कही। उन्होंने कहा कि जयपुर की गलता गद्दी पर भी रामानंद संप्रदाय का हक है। यह हक जल्दी उन्हें मिलने वाला है, ऐसा उन्हें विश्वास है। उन्होंने कहा कि गलता पीठ पर अधिकार कैसे लेना है, यह वे अच्छी तरह से जानते हैं। थोड़ा इंतजार कीजिए। आने वाले दिनों में गलता की गद्दी पर भी रामानंदियों की विजय पताका लहराएगी। उन्होंने यह भी कहा कि जयपुर से उनका पुराना लगाव है। बीस साल पहले वर्ष 2023 में उन्होंने जयपुर में कथा का वाचन किया था।
राम जन्मभूमि मामले में प्रमुख गवाह बनकर साक्ष्य पेश किए थे
जगदगुरु रामभद्राचार्य श्री राम जन्मभूमि मामले में पक्षकार थे। वे उस मामले में मुख्य गवाह भी थे और उन्हें रामजन्मभूमि से जुड़े कई प्रमाण भी कोर्ट में पेश किए थे। जब राम जन्मभूमि के बारे में अंतिम फैसला आया तब रामभद्राचार्य ने कहा था कि 550 साल का कलंक अब समाप्त हो गया है। अब रामजी अपनी जन्मभूमि में विराजित होंगे। कोर्ट के फैसले के बाद उन्होंने यह भी कहा था कि श्रीराम जन्मभूमि हम ले आए। मेरी वही प्रतिभा है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि को भी हम लाकर रहेंगे। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अयोध्या में रामलला की स्थापना की गई। वहां पर भव्य मंदिर निर्माण का कार्य भी जारी है।
रामभद्राचार्य रामानंद संप्रदाय के चार जगदगुरुओं में से एक हैं। वे एक धर्म प्रचारक हैं और पिछले करीब 50 सालों से श्रीराम कथा का वाचन करते आ रहे हैं। प्रवचन देने के साथ वे एक दार्शनिक और हिंदू धर्मगुरु के रूप में भी जाने जाते हैं। वे हिंदी और संस्कृत सहित कई भाषाओं के ज्ञाता हैं। उन्होंने चित्रकूट में जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय की स्थापना की और वहां के आजीवन कुलाधिपति भी हैं। चित्रकूट में तुलसी पीठ की स्थापना का श्रेय भी रामभद्राचार्य को ही जाता है। इन्होंने दो संस्कृत और दो हिंदी में मिलाकर कुल चार महाकाव्यों की रचना की है। वर्ष 2015 में भारत सरकार इन्हें पद्म भूषण से भी सम्मानित कर चुकी है।
Jaipur: Jagadguru Ram Bhadracharya Takes Oath, Won't Visit Krishna Temples Until Shri Krishna Janmabhoomi Dispute Resolved Jaipur: Jagadguru Ram Bhadracharya Takes Oath Jagadguru Ram Bhadracharya, a prominent Hindu saint, announced in Jaipur that he won't visit any Krishna temple until the Supreme Court verdict on the Shri Krishna Janmabhoomi land dispute is delivered. He made this statement during his 9-day Ram Katha discourse at Vidyaadhar Nagar Stadium.
Ram Bhadracharya, one of the four Jagadgurus of the Ramanand Sampradaya, also claimed rights over Jaipur's Galta Peeth, expressing confidence in acquiring it soon.
Ram Bhadracharya was a key witness in the Ram Janmabhoomi case and presented evidence in court. After the verdict, he said, "The 550-year stigma is now removed, and Ramji will reside in his birthplace." He also vowed to reclaim Shri Krishna Janmabhoomi.
Jagadguru Ram Bhadracharya is a renowned Hindu saint, philosopher, and preacher who has delivered Ram Katha discourses for nearly 50 years. He founded the Jagadguru Ram Bhadracharya Viklang Vishwavidyalaya in Chitrakoot and established Tulsi Peeth. He has composed four mahakavyas in Sanskrit and Hindi.
Awards and Recognition
In 2015, the Indian government honored him with the Padma Bhushan award.