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Thursday, November 7, 2024

अमेरिका में 132 साल बाद रचा गया इतिहास, डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार चुने गए अमेरिकी राष्ट्रपति, जानें जीत के 4 बड़े कारण

नई दिल्ली: डोनाल्ड ट्रंप को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बधाई दी है। पीएम मोदी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा है कि वह ट्रंप के पिछले कार्यकाल की सफलताओं की तरह इस बार भी भारत-अमेरिका की व्यापक वैश्विक और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक हैं।
डोनाल्ड ट्रंप ने फ्लोरिडा में मनाया जीत का जश्न
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में दमदार जीत हासिल की है। ट्रंप ने अपनी प्रतिद्वंद्वी कमला हैरिस को पछाड़ते हुए जीत के लिए जरूरी 270 इलेक्टोरल वोट के आंकड़े को पार कर लिया है। ट्रंप 2016 में चुनाव जीते थे और 2020 में हार के बाद अब 2024 में जीते हैं। ऐसा 132 साल बाद हुआ जब अमेरिका में कोई व्यक्ति दूसरी बार राष्ट्रपति बना है, लेकिन उसने चुनाव लगातार नहीं जीता है। इससे पहले ग्रोवर क्लीवलैंड 1884 में और फिर 1892 में राष्ट्रपति बने थे। ग्रोवर क्लीवलैंड के बाद अब ट्रंप दूसरे गैर-लगातार कार्यकाल वाले राष्ट्रपति होंगे। यहाँ हम उन पांच कारणों को बता रहे हैं, जो ट्रंप की जीत में सबसे अहम रहे हैं।
1. ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत समर्थन
वोक्स की रिपोर्ट के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप की जीत की एक अहम वजह उनका ग्रामीण क्षेत्रों में अपने समर्थन को बढ़ाने में सफल रहना है। पहले से उम्मीद थी कि ट्रंप ग्रामीण क्षेत्रों में हावी रहेंगे, लेकिन सवाल यह था कि क्या वह 2020 के मुकाबले बड़े अंतर से जीत पाएंगे या नहीं। नतीजों से साफ है कि उन्होंने ऐसा किया है। ट्रंप ने इंडियाना, केंटकी, जॉर्जिया और उत्तरी कैरोलिना में समर्थन को बढ़ाते हुए अपनी ताकत दिखाई है।

2. कस्बाई इलाकों में कमजोर पड़े डेमोक्रेट्स
ग्रामीण इलाकों में ट्रंप ने शानदार प्रदर्शन किया। ऐसे में इस फासले को पाटने के लिए कमला हैरिस को शहरी केंद्रों के साथ-साथ आसपास के उपनगरों में भी बड़ी बढ़त हासिल करनी थी। 2016 से ही इन उपनगरीय इलाकों में डेमोक्रेट्स को बढ़त मिलती रही है, लेकिन अपेक्षित भारी बढ़त हैरिस को इन इलाकों में नहीं मिल पाई। कई इलाकों में तो हैरिस का अंतर जो बाइडन से भी कम रहा।
3. लैटिन मतदाताओं के बीच डेमोक्रेटिक समर्थन में गिरावट
हैरिस की हार का तीसरा कारण विशेष रूप से लैटिन मतदाताओं के बीच डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन कम होना रहा है। ट्रंप को गैर-श्वेत मतदाताओं का भी समर्थन मिला है। खासतौर से बड़ी लैटिन आबादी वाले स्थानों में कुछ नाटकीय बदलाव देखने को मिले हैं। इसका बड़ा उदाहरण मियामी-डेड काउंटी में देखने को मिला, जहां बड़ी क्यूबा-अमेरिकी आबादी रहती है। यह इलाका डेमोक्रेट्स का गढ़ था, लेकिन यहां ट्रंप ने दोहरे अंकों में जीत हासिल की है।

4. डेमोक्रेट्स के खिलाफ एंटी-इंकम्बेंसी
साल 2022 में महामारी के बाद से एक ट्रेंड देखा गया है कि सत्ताधारी पार्टियों को सत्ता बरकरार रखने में संघर्ष करना पड़ा है। जापान, ऑस्ट्रिया, ब्रिटेन, इटली और जर्मनी जैसे देशों में सत्तारूढ़ दल कमजोर हुए या सरकार से बाहर हो गए। अमेरिका में भी बाइडन के खिलाफ एंटी-इंकम्बेंसी कहीं न कहीं हैरिस की हार की वजह बनी है।
New Delhi: India’s Prime Minister Narendra Modi also congratulated Donald Trump. PM Modi posted on X (formerly Twitter), expressing his eagerness to work with Trump to strengthen the expansive global and strategic partnership between India and the United States, building on the successes of Trump’s previous term.

Donald Trump Celebrates Victory in Florida
Donald Trump has secured a resounding victory in the U.S. presidential election, defeating his rival Kamala Harris by surpassing the required 270 electoral votes. Trump previously won the election in 2016 but lost in 2020, only to win again in 2024. This marks the first time in 132 years that someone has returned to the presidency without consecutive terms. The last to do so was Grover Cleveland, who served as president in 1884 and then again in 1892. Trump now becomes the second president in history with non-consecutive terms. Here are five key reasons that were instrumental in Trump’s victory.
1. Strong Support in Rural Areas
According to a report by Vox, one major reason behind Trump’s victory was his success in expanding his support base in rural areas. It was anticipated that Trump would have a stronghold in rural regions, but there was a question of whether he could win by a larger margin compared to 2020. The results confirm that he achieved this, with Trump strengthening his base and showing his power in Indiana, Kentucky, Georgia, and North Carolina.

2. Democrats’ Weakness in Suburban Areas
Trump’s remarkable performance in rural areas created a significant gap, which Kamala Harris needed to bridge by securing a substantial lead in urban centers and nearby suburbs. Since 2016, Democrats have had an edge in suburban areas, but Harris did not achieve the anticipated lead there. In many areas, her margin was even lower than Joe Biden's in the previous election.
3. Decrease in Democratic Support among Latino Voters
The third factor contributing to Harris’s loss was the decline in Democratic support among Latino voters. Trump gained backing from non-white voters, with significant shifts in areas with large Latino populations. A striking example was seen in Miami-Dade County, a traditionally Democratic stronghold with a large Cuban-American population, where Trump won by double digits.

4. Anti-Incumbency against the Democrats
Since the pandemic in 2022, there has been a trend of ruling parties struggling to retain power. Countries like Japan, Austria, the UK, Italy, and Germany saw ruling parties weakened or ousted from power. In the U.S., anti-incumbency sentiment against Biden became a contributing factor to Harris’s defeat.

दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा आदेश: ‘वक्फ बोर्ड के साथ जामा मस्जिद और इसके आसपास की जगहों का हो सर्वे’

नई दिल्ली - जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को जामा मस्जिद और इसके आसपास के क्षेत्र का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने एएसआई को निर्देश दिया है कि जामा मस्जिद का स्केच या संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत करके यह बताएं कि मस्जिद परिसर का उपयोग किन उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है। अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि मस्जिद से होने वाले राजस्व और दान का उपयोग कैसे किया जा रहा है, इसका विवरण भी प्रस्तुत किया जाए। दिल्ली वक्फ बोर्ड को यह भी बताने के लिए कहा गया है कि क्या जामा मस्जिद की प्रबंध समिति के संविधान में कोई बदलाव किया गया है। अदालत ने बोर्ड को मस्जिद और इसके आसपास के संरक्षण या सुरक्षा के लिए सुझाव और प्रस्ताव भी प्रस्तुत करने को कहा। मामले की अगली सुनवाई 11 दिसंबर तक स्थगित करते हुए, अदालत ने चार सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान वक्फ बोर्ड की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय घोष ने जानकारी दी कि 10 फरवरी 2015 के आदेश के अनुसार, मस्जिद की प्रबंध समिति में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव के अलावा छह सदस्य हैं। वर्तमान समिति की स्थिति पर पीठ द्वारा पूछे जाने पर अधिवक्ता ने कहा कि वे निर्देश लेकर इस पर स्पष्ट जानकारी देंगे। दूसरी ओर, केंद्र सरकार के स्थायी अधिवक्ता मनीष मोहन और अनिल सोनी ने अदालत को सूचित किया कि एएसआई महानिदेशक के साथ हुई बैठक में एएसआई ने कहा कि जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने के संबंध में अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।

अदालत सुहैल अहमद खान और अजय गौतम द्वारा दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इन याचिकाओं में जामा मस्जिद के इमाम मौलाना सैयद अहमद बुखारी द्वारा शाही इमाम उपाधि के इस्तेमाल और उनके बेटे को नायब (उप) इमाम के रूप में नियुक्त करने पर आपत्ति जताई गई है। याचिकाओं में अधिकारियों को जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने और उसके आसपास सभी अतिक्रमण हटाने के निर्देश देने की मांग की गई है। याचिकाओं में यह भी सवाल उठाया गया है कि जामा मस्जिद एएसआई के अधीन क्यों नहीं थी।
अधिकारियों ने हलफनामे में कहा कि एएसआई को मस्जिद की मूल फाइल नहीं मिल रही है। इसके बावजूद एएसआई ने जामा मस्जिद के पुनर्स्थापना और संरक्षण के लिए कार्य किया है। 2007-08 से 2021 तक एएसआई ने मस्जिद के मरम्मत, नवीनीकरण, संरक्षण और अन्य कार्यों में 61 लाख 82 हजार 816 रुपये खर्च किए हैं।

एएसआई ने अदालत में कहा कि जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने से महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेंगे। संरक्षित स्मारक घोषित करने पर 100 मीटर के दायरे में निर्माण प्रतिबंधित हो जाएगा। इसके अलावा, 200 मीटर के विनियमित क्षेत्र में निर्माण गतिविधियों के लिए सक्षम प्राधिकरण और राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण से पूर्व अनुमति की आवश्यकता होगी। एएसआई ने कहा कि जामा मस्जिद का संरक्षण वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत दिल्ली वक्फ बोर्ड के अंतर्गत आता है।
New Delhi – While hearing a petition demanding that Jama Masjid be declared a protected monument, the Delhi High Court has instructed the Archaeological Survey of India (ASI) to conduct a survey of Jama Masjid and its surrounding areas.

The bench of Justice Pratibha M. Singh and Justice Amit Sharma has directed ASI to present a sketch or relevant records of Jama Masjid to clarify the purposes for which the mosque premises are being used. The court has also asked for details on how the revenue and donations collected are being utilized. The Delhi Waqf Board has been instructed to report whether there have been any changes in the constitution of the mosque's managing committee. Additionally, the court asked the board to present suggestions and proposals for the preservation or security of Jama Masjid and its surroundings. The next hearing is scheduled for December 11, with a directive to submit a status report within four weeks.
During the hearing, Senior Advocate Sanjay Ghosh, representing the Waqf Board, informed the court that as per an order dated February 10, 2015, the mosque's managing committee consists of a chairman, vice-chairman, general secretary, and six other members. When asked about the current status of the committee, the advocate stated he would provide clarification on this matter after receiving instructions. Meanwhile, government counsel Manish Mohan and Anil Soni informed the court that during a meeting with the Director General of ASI, it was stated that no steps had been taken to declare Jama Masjid a protected monument.
The court is hearing public interest litigations filed by Suhail Ahmed Khan and Ajay Gautam, objecting to the title of "Shahi Imam" used by Jama Masjid's Imam, Maulana Syed Ahmed Bukhari, and the appointment of his son as Naib (Deputy) Imam. The petitions have requested that authorities declare Jama Masjid a protected monument and remove all encroachments in its vicinity. The petitions also question why Jama Masjid has not been placed under the ASI's jurisdiction.

Authorities stated in an affidavit that the ASI has not been able to locate the original file for Jama Masjid. Nevertheless, the ASI has undertaken restoration and conservation work at the mosque, spending a total of INR 6,182,816 on repairs, renovations, conservation, and other activities from 2007–08 to 2021.
The ASI informed the court that declaring Jama Masjid a protected monument would have significant implications. Upon being declared a protected monument, a 100-meter radius around it would become a no-construction zone. Additionally, in the 200-meter regulated area beyond that, construction activities would require prior permission from the competent authority and the National Monuments Authority. The ASI noted that the protection of Jama Masjid falls under the Delhi Waqf Board, as per the Waqf Act of 1995.