नई दिल्ली - जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को जामा मस्जिद और इसके आसपास के क्षेत्र का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने एएसआई को निर्देश दिया है कि जामा मस्जिद का स्केच या संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत करके यह बताएं कि मस्जिद परिसर का उपयोग किन उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है। अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि मस्जिद से होने वाले राजस्व और दान का उपयोग कैसे किया जा रहा है, इसका विवरण भी प्रस्तुत किया जाए। दिल्ली वक्फ बोर्ड को यह भी बताने के लिए कहा गया है कि क्या जामा मस्जिद की प्रबंध समिति के संविधान में कोई बदलाव किया गया है। अदालत ने बोर्ड को मस्जिद और इसके आसपास के संरक्षण या सुरक्षा के लिए सुझाव और प्रस्ताव भी प्रस्तुत करने को कहा। मामले की अगली सुनवाई 11 दिसंबर तक स्थगित करते हुए, अदालत ने चार सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान वक्फ बोर्ड की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय घोष ने जानकारी दी कि 10 फरवरी 2015 के आदेश के अनुसार, मस्जिद की प्रबंध समिति में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव के अलावा छह सदस्य हैं। वर्तमान समिति की स्थिति पर पीठ द्वारा पूछे जाने पर अधिवक्ता ने कहा कि वे निर्देश लेकर इस पर स्पष्ट जानकारी देंगे। दूसरी ओर, केंद्र सरकार के स्थायी अधिवक्ता मनीष मोहन और अनिल सोनी ने अदालत को सूचित किया कि एएसआई महानिदेशक के साथ हुई बैठक में एएसआई ने कहा कि जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने के संबंध में अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।
अदालत सुहैल अहमद खान और अजय गौतम द्वारा दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इन याचिकाओं में जामा मस्जिद के इमाम मौलाना सैयद अहमद बुखारी द्वारा शाही इमाम उपाधि के इस्तेमाल और उनके बेटे को नायब (उप) इमाम के रूप में नियुक्त करने पर आपत्ति जताई गई है। याचिकाओं में अधिकारियों को जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने और उसके आसपास सभी अतिक्रमण हटाने के निर्देश देने की मांग की गई है। याचिकाओं में यह भी सवाल उठाया गया है कि जामा मस्जिद एएसआई के अधीन क्यों नहीं थी।
अधिकारियों ने हलफनामे में कहा कि एएसआई को मस्जिद की मूल फाइल नहीं मिल रही है। इसके बावजूद एएसआई ने जामा मस्जिद के पुनर्स्थापना और संरक्षण के लिए कार्य किया है। 2007-08 से 2021 तक एएसआई ने मस्जिद के मरम्मत, नवीनीकरण, संरक्षण और अन्य कार्यों में 61 लाख 82 हजार 816 रुपये खर्च किए हैं।
एएसआई ने अदालत में कहा कि जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने से महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेंगे। संरक्षित स्मारक घोषित करने पर 100 मीटर के दायरे में निर्माण प्रतिबंधित हो जाएगा। इसके अलावा, 200 मीटर के विनियमित क्षेत्र में निर्माण गतिविधियों के लिए सक्षम प्राधिकरण और राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण से पूर्व अनुमति की आवश्यकता होगी। एएसआई ने कहा कि जामा मस्जिद का संरक्षण वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत दिल्ली वक्फ बोर्ड के अंतर्गत आता है।
New Delhi – While hearing a petition demanding that Jama Masjid be declared a protected monument, the Delhi High Court has instructed the Archaeological Survey of India (ASI) to conduct a survey of Jama Masjid and its surrounding areas.
The bench of Justice Pratibha M. Singh and Justice Amit Sharma has directed ASI to present a sketch or relevant records of Jama Masjid to clarify the purposes for which the mosque premises are being used. The court has also asked for details on how the revenue and donations collected are being utilized. The Delhi Waqf Board has been instructed to report whether there have been any changes in the constitution of the mosque's managing committee. Additionally, the court asked the board to present suggestions and proposals for the preservation or security of Jama Masjid and its surroundings. The next hearing is scheduled for December 11, with a directive to submit a status report within four weeks.
During the hearing, Senior Advocate Sanjay Ghosh, representing the Waqf Board, informed the court that as per an order dated February 10, 2015, the mosque's managing committee consists of a chairman, vice-chairman, general secretary, and six other members. When asked about the current status of the committee, the advocate stated he would provide clarification on this matter after receiving instructions. Meanwhile, government counsel Manish Mohan and Anil Soni informed the court that during a meeting with the Director General of ASI, it was stated that no steps had been taken to declare Jama Masjid a protected monument.
The court is hearing public interest litigations filed by Suhail Ahmed Khan and Ajay Gautam, objecting to the title of "Shahi Imam" used by Jama Masjid's Imam, Maulana Syed Ahmed Bukhari, and the appointment of his son as Naib (Deputy) Imam. The petitions have requested that authorities declare Jama Masjid a protected monument and remove all encroachments in its vicinity. The petitions also question why Jama Masjid has not been placed under the ASI's jurisdiction.
Authorities stated in an affidavit that the ASI has not been able to locate the original file for Jama Masjid. Nevertheless, the ASI has undertaken restoration and conservation work at the mosque, spending a total of INR 6,182,816 on repairs, renovations, conservation, and other activities from 2007–08 to 2021.
The ASI informed the court that declaring Jama Masjid a protected monument would have significant implications. Upon being declared a protected monument, a 100-meter radius around it would become a no-construction zone. Additionally, in the 200-meter regulated area beyond that, construction activities would require prior permission from the competent authority and the National Monuments Authority. The ASI noted that the protection of Jama Masjid falls under the Delhi Waqf Board, as per the Waqf Act of 1995.