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Thursday, November 7, 2024

छठ महापर्व की शुरुआत की कहानी, माता सीता की छठ पूजा से जुड़ी लोककथाएं

सबसे पहले कहां और किसने किया था छठ?
*पटना :* छठ का त्योहार ज्यादातर बिहार में मनाया जाता है. विदेशों से भी लोग किसी त्योहार पर भले ही अपने घर न आए लेकिन छठ पर जरूर आते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि बिहार में छठ की शुरुआत कब और किस जगह से हुई थी. छठ महापर्व की शुरुआत मुंगेर से हुई थी और माता सीता ने पहली बार मुंगेर में उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर एक छोटे पर्वत पर छठ पूजन किया था.
*सबसे पहले कहां और किसने किया था छठ?*
लोक आस्था के महापर्व छठ की मुंगेर में खास अहमियत है. इस पर्व को लेकर यहां कई लोककथाएं प्रचलित हैं. उनमें से एक कथा के अनुसार सीता माता ने यहां छठ व्रत कर इस पर्व की शुरुआत की थी. आनंद रामायण के अनुसार मुंगेर जिले के बबुआ गंगा घाट से दो किलोमीटर दूर गंगा के बीच में स्थित पर्वत पर ऋषि मुद्गल के आश्रम में मां सीता ने छठ किया था. माता सीता ने जहां पर छठ किया था. वह स्थान वर्तमान में सीता चरण मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है, तब से अंग और मिथिला समेत पूरे देश मे छठ व्रत मनाया जाने लगा.
वहीं छठ पर्व को लेकर धार्मिक और पौराणिक मान्यताएं भी हैं कि रामायण काल में मुंगेर की गंगा नदी के तट पर मां सीता ने पहली बार छठ व्रत किया था. इसके बाद से छठ व्रत मनाया जाने लगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां सीता ने सबसे पहले मुंगेर में उत्तरवाहिनी गंगा घाट पर छठ व्रत किया था, जिस स्थान पर मां सीता ने छठ पूजा की थी. बबुआ गंगा घाट के पश्चिमी तट पर दियारा इलाके में स्थित मंदिर में माता का चरण पदचिह्न और सूप का निशान एक विशाल पत्थर पर अभी भी मौजूद है.
माता सीता ने 6 दिनों तक छठ पूजा की
वह पत्थर 250 मीटर लंबा 30 मीटर चौड़ा है. यहां पर एक छोटा सा मंदिर भी बना हुआ है, जिसे अभी लोग सीता चरण मंदिर के नाम से जानते हैं. वही धर्म के जानकार पंडित का कहना है कि ऐतिहासिक नगरी मुंगेर के सीता चरण में कभी मां सीता ने 6 दिनों तक रहकर छठ पूजा की थी, जब भगवान राम 14 साल का वनवास काटकर अयोध्या वापस लौटे थे, तो उन पर ब्राह्मण हत्या का पाप लग गया था. क्योंकि रावण ब्राह्मण कुल से आते थे और इस पाप से मुक्ति पाने के लिए ऋषि मुनियों के आदेश पर राजा राम ने राजसूय यज्ञ कराने का फैसला किया.
सूरज की उपासना करने की सलाह
इसके बाद मुद्गल ऋषि को आमंत्रित किया गया था लेकिन मुद्गल ऋषि ने अयोध्या आने से पहले भगवान राम और सीता माता को अपने आश्रम बुलाया और भगवान राम को मुंगेर में ही ब्रह्म हत्या मुक्ति यज्ञ करवाया. क्योंकि महिलाएं यज्ञ में भाग नहीं ले सकती थीं. इसलिए माता सीता को मुद्गल ऋषि ने आश्रम में ही रहने का निर्देश दिया और उन्हें सूरज की उपासना करने की सलाह दी.
दूर-दूर से छठ के लिए आते हैं लोग
मां सीता के मुंगेर में छठ व्रत करने का जिक्र आनंद रामायण के पृष्ठ संख्या 33 से 36 में भी है, जहां मां सीता ने व्रत किया वहां माता सीता के दोनों चरणों के निशान मौजूद हैं. इसके अलावा शीला पाठ सूप, डाला और लोटा के निशान हैं. मंदिर का गर्भगृह साल में 6 महीने तक गंगा के गर्भ में समाया रहता है. यह मंदिर 1974 में बनकर तैयार हुआ था, जहां दूर-दूर से लोग छठ व्रत करने के लिए आते हैं. मान्यता है कि छठ व्रत करने से लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
The Origins of Chhath Puja: Mata Sita's Chhath Worship in Munger
*Where and Who Started Chhath Puja?*

Chhath festival is mainly celebrated in Bihar, and people from abroad also return to their homes to participate in this festival. But do you know where and how Chhath Puja originated in Bihar?
*Origin of Chhath Puja*

Chhath Mahaparv began in Munger, and Mata Sita first performed Chhath Puja on the banks of the Uttravahini Ganga River. According to Anand Ramayan, Mata Sita performed Chhath at Rishi Mudgal's ashram, located two kilometers from Babua Ganga Ghat.
*Mata Sita's 6-Day Chhath Puja*

Mata Sita worshipped the Sun God for six days, following which the Chhath festival spread across Anga, Mithila, and the rest of India. The spot where Mata Sita performed Chhath Puja is now known as Sita Charan Mandir.
*Historical Significance*

The temple, situated 250 meters long and 30 meters wide, houses Mata Sita's footprints and a soup bowl on a large stone. According to religious scholars, Mata Sita performed Chhath Puja for six days when Lord Rama returned to Ayodhya after completing his 14-year exile.
*Sun Worship*

Rishi Mudgal advised Lord Rama and Mata Sita to perform Sun worship to atone for Brahmin killing. Since women couldn't participate in yajna, Mata Sita stayed at Rishi Mudgal's ashram and performed Chhath Puja.
*Devotees Visit from Far and Wide*

The Sita Charan Mandir, built in 1974, attracts devotees from far and wide to perform Chhath Puja. The temple's sanctum sanctorum remains submerged in the Ganges for six months annually. Devotees believe that Chhath Puja fulfills all wishes.


बिहार में महापर्व छठ में धर्म पर आस्था पड़ी भारी, बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं भी भगवान भास्कर को देंगी अर्घ्य

पटना: बिहार में आम से लेकर खास लोग लोक आस्था के महापर्व छठ की तैयारियों में जुटे हैं। सभी लोग छठ में व्यस्त हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इस महापर्व पर धर्म से ऊपर आस्था भारी दिख रही है।
प्रदेश के कई इलाकों में बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग न केवल छठ घाटों की साफ-सफाई में लगे हैं, बल्कि इस समाज की महिलाएं भी छठ पर्व मना रही हैं। मुजफ्फरपुर के कालीबाड़ी की रहने वाली मुस्लिम समुदाय की महिला सायरा बेगम ऐसी ही एक महिला हैं जो पिछले आठ साल से छठ पर्व कर रही हैं। ऐसा नहीं है कि इस पर्व का इंतजार केवल सायरा बेगम को रहता है, बल्कि उनके परिवार के अन्य सदस्य भी इस पर्व में उनकी मदद करते हैं।

सायरा बेगम बताती हैं कि वह छठ पर्व पर सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित कर अपनी मन्नत पूरी कर रही हैं। वे कहती हैं, "मेरे पति अक्सर बीमार रहते थे। 2015 में मैंने छठी मैया से मन्नत मांगी कि अगर मेरे पति की तबीयत ठीक हो जाएगी तो मैं छठ करूंगी। इसके अगले साल ही छठी मैया की कृपा से मेरे पति की तबीयत ठीक हो गई। तब से लेकर अब तक मैं प्रति वर्ष पूरे विधि-विधान से छठ व्रत कर रही हूं।" उन्होंने कहा कि जब तक वह जिंदा रहेंगी, तब तक यह पर्व करती रहेंगी।
इसी तरह, सीतामढ़ी के बाजितपुर की रहने वाली जैमुन खातून भी पिछले कई वर्षों से पूरे विधि-विधान से छठ मना रही हैं। यही नहीं, इस गांव की कई मुस्लिम महिलाएं भी छठ पर्व करती हैं। इन महिलाओं का कहना है कि उन्हें हिंदू समुदाय के लोगों का भी सहयोग मिलता है।

बिहार की जेलों में भी मुस्लिम समाज के कैदी इस साल छठ मना रहे हैं। मुजफ्फरपुर के शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा में भी इस साल बड़ी संख्या में कैदी छठ व्रत की तैयारी में जुटे हैं। बताया जाता है कि इस जेल के 47 महिला और 49 पुरुष कैदी छठ व्रत कर रहे हैं, जिनमें तीन मुस्लिम और एक सिख समुदाय के लोग शामिल हैं।
छठ करने वाली मुस्लिम महिलाएं बताती हैं कि वे छठ महापर्व पूरी शुद्धता के साथ करती हैं और दशहरा खत्म होने के बाद घर में लहसुन-प्याज का इस्तेमाल भी बंद कर देती हैं।

कुल मिलाकर, कहा जा सकता है कि लोक आस्था का महापर्व छठ न केवल स्वच्छता का संदेश दे रहा है, बल्कि सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल भी पेश कर रहा है।

Patna: From common people to the elite, everyone in Bihar is busy preparing for the great festival of faith, Chhath. All are engaged in the festivities. The remarkable aspect of this festival is that faith seems to transcend religious boundaries.

In many areas of the state, a large number of people from the Muslim community are not only involved in cleaning the Chhath ghats (riverbanks) but also celebrating the festival. Saira Begum, a woman from the Muslim community residing in Kalibari, Muzaffarpur, is one such example. She has been observing Chhath for the past eight years. And it’s not just her; her family members also support her in observing this festival.
Saira Begum explains that she offers arghya (water offering) to the Sun God during Chhath to fulfill her vows. She says, "My husband used to fall sick often. In 2015, I vowed to Chhathi Maiya that if my husband's health improved, I would observe Chhath. The following year, with Chhathi Maiya's blessings, my husband recovered. Since then, I have observed the Chhath fast every year with full devotion." She declared that she would continue to observe this festival as long as she lives.

Similarly, Jamun Khatoon from Bajitpur, Sitamarhi, has also been celebrating Chhath with full rituals for several years. Not just her, but several Muslim women from the village also observe this festival. These women state that they also receive support from the Hindu community.
Muslim inmates in Bihar's prisons are also observing Chhath this year. In Shaheed Khudiram Bose Central Jail in Muzaffarpur, a large number of inmates are preparing for Chhath. It’s reported that 47 female and 49 male inmates are observing the festival, including three from the Muslim community and one from the Sikh community.

Muslim women celebrating Chhath say that they follow all rituals strictly and stop using garlic and onion in their households after Dussehra.

Overall, it can be said that Bihar's great festival, Chhath, not only promotes cleanliness but also sets an example of communal harmony.