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Tuesday, September 10, 2024

Train owner: संपूर्ण सिंह बने थे ट्रेन मालिक ..वो भी एक किसान , पढ़े पूरी खबर ..

Train Owner: यह मामला 2007 का है. उस समय लुधियाना-चंडीगढ़ रेलवे लाइन के निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण का काम चल रहा था. इस प्रक्रिया के तहत भारतीय रेलवे ने पंजाब के कटाना गांव के किसान संपूर्ण सिंह की जमीन का भी अधिग्रहण किया था.

 आपने कभी रतन टाटा, मुकेश अंबानी या गौतम अदाणी जैसे अरबपतियों को ट्रेन खरीदते हुए सुना है? नहीं न. यह भारत है और भारत चमत्कारों वाला देश है. इस देश में भले ही टाटा-अंबानी ने ट्रेन नहीं खरीदी हो, लेकिन एक आदमी ऐसा है, जिसने मुआवजे के तौर पर ट्रेन ही मांग लिया. रेलवे ने उसे देने से इनकार किया, तो अदालत का दरवाजा खटखटा दिया और थक-हारकर रेलवे ने उस आदमी को ट्रेन का मालिक ही बना दिया . उस आदमी का नाम संपूर्ण सिंह है और संपूर्ण सिंह पेशे से पंजाब के किसान हैं.

रेलवे के भेदभाव से नाराज संपूर्ण सिंह पहुंचे अदालत
स्क्रॉल डॉट इन की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला 2007 का है. उस समय लुधियाना-चंडीगढ़ रेलवे लाइन के निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण का काम चल रहा था. इस प्रक्रिया के तहत भारतीय रेलवे ने पंजाब के कटाना गांव के किसान संपूर्ण सिंह की जमीन का भी अधिग्रहण किया था. शुरुआत में किसान संपूर्ण सिंह को रेलवे ने 25 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से जमीन का मुआवजा दिया. कुछ ही दिन बाद किसान संपूर्ण सिंह को पता चला कि बगल के गांव के किसानों को रेलवे ने 71 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया है. रेलवे के इस भेदभाव से संपूर्ण सिंह नाराज हो गए और उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया.

संपूर्ण सिंह ने अदालत में किया मुआवजे का दावा
संपूर्ण सिंह की ओर से साल 2012 में अदालत में दावा किया कि रेलवे के अधिकारियों ने उनकी जमीन के मुआवजे का करीब लगभग 1.05 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया है. अदालत में करीब तीन साल तक सुनवाई चलने के बाद जनवरी 2015 में फैसला किसान संपूर्ण सिंह के पक्ष में आया. अदालत ने रेलवे को आदेश दिया कि वह मुआवजे की बाकी रकम का भुगतान जल्द ही कर दे. इसके साथ ही, अदालत ने मुआवजे की रकम बढ़ाकर 50 लाख रुपये प्रति एकड़ कर दी. फिर भी रेलवे ने मुआवजे की रकम किसान संपूर्ण सिंह को नही दी.


अदालत के आदेश पर ट्रेन को जब्त कर मालिक बने संपूर्ण सिंह
रेलवे की ओर से मुआवजे की रकम का भुगतान नहीं करने पर अदालत भी नाराज हो गया. मार्च 2017 में जिला एवं सत्र न्यायाधीश जसपाल वर्मा ने अपने ऐतिहासिक फैसले में मुआवजे की बकाया रकम वसूलने के लिए दिल्ली-अमृतसर स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस के साथ-साथ लुधियाना के स्टेशन मास्टर का कार्यालय जब्त करने का आदेश दे दिया. अदालत का आदेश मिलते ही किसान संपूर्ण सिंह 15 मार्च 2017 को अदालत के आदेश की कॉपी लेकर लुधियाना स्टेशन पर पहुंच गए और 20 कोच वाली ट्रेन समेत स्टेशन मास्टर का कार्यालय जब्त कर लिया. ट्रेन जब्त करने के बाद किसान संपूर्ण सिंह कुछ समय के लिए उसका मालिक बन गए. मीडिया से बातचीत में संपूर्ण सिंह ने कहा था कि वे ट्रेन में सवार यात्रियों को परेशान नहीं करना चाहते थे, इसलिए उसे गंतव्य तक जाने दिया.

कांड्रा स्टेशन पर कोरोना काल के दौरान बंद की गई ट्रेनों के ठहराव की मांग को लेकर सांसद को प्रकाश कुमार राजू ने सौंपा मांगपत्र

कांड्रा स्टेशन पर प्रमुख ट्रेनों के ठहराव की मांग को लेकर स्थानीय लोगों ने समाजसेवी प्रकाश कुमार राजू के नेतृत्व में सांसद जोबा मांझी को मांग पत्र सौंपा है।
qमांग पत्र पर सैकड़ों लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं। समाज सेवी प्रकाश कुमार राजू कहा कि लॉकडाउन के दौरान सभी रेल परिचालन बंद होने के बाद पुनः रेल सेवा शुरू होने पर जो ट्रेन पूर्व में कांड्रा स्टेशन पर ठहरती थी उसका ठहराव बंद हो गया है।जिसके विरोध में स्थानीय ग्रामीण एवं समाजसेवी प्रकाश कुमार राजू द्वारा 20 जनवरी 2024 से कांड्रा स्टेशन पर आमरण अनशन किया गया था जिसके पश्चात चक्रधरपुर के डीआरएम ने कुछ दिनों का समय मांगा था । लेकिन 8 महीने बीत जाने के बाद भी उनकी जायज मांग को रेलवे के अधिकारी ने नही सुना। प्रकाश कुमार राजू ने मीडिया के माध्यम से बताया कि अगर उनकी मांगों को जल्द से जल्द नहीं सुना गया तो वे रेल चक्का जाम करेंगे ।समाजसेवी प्रकाश कुमार राजू ने बताया कि 48 गांव के साथ वे कांड्रा रेलवे ट्रैक में रेल चक्का के लिए ग्रामीणों के साथ आंदोलन की तैयारी की जाएगी ताकि जल्द ही रेल चक्का जाम की तिथि की घोषणा करेंगे। इस वजह से यदि रेल प्रशासन की
 जिम्मेवारी रेल प्रशासन की होगी । 
वहीं सांसद को मांग पत्र सौंपने पर सांसद जोबा मांझी ने आश्वासन दिया कि जल्द ही इस पर रेल मंत्री से बात करके रेल ठहराव के लिए बात किया जाएगा ।


*जानिए कौन कौन ट्रेन की ठहराव ही है मांग*


1. ट्रेन संख्या 1818 1/18182 up down टाटा छपरा एक्सप्रेस
 2. गाड़ी संख्या 13288/1328 9 up down राजेंद्र नगर दुर्ग दक्षिण बिहार एक्सप्रेस 
3. गाड़ी संख्या 18616/18617 up down हटिया हावड़ा एक्सप्रेस एवं दानापुर सुपरफास्ट एक्सप्रेस) ठहराव काण्ड्रा में ट्रायल बेसिस पर 6 माह के लिए करने का मांग किया गया था.




Prakash Kumar Raju handed over a memorandum to the MP demanding stoppage of trains stopped during the Corona period at Kandra station.

 Local people, under the leadership of social worker Prakash Kumar Raju, have handed over a memorandum to MP Joba Manjhi demanding stoppage of major trains at Kandra station. Hundreds of people have signed the memorandum. Social worker Prakash Kumar Raju said that after all rail operations were stopped during the lockdown, when the rail service started again, the stoppage of the train which used to stop at Kandra station earlier has stopped. In protest against which local villager and social worker Prakash Kumar Raju had gone on a hunger strike at Kandra station from 20 January 2024, after which the DRM of Chakradharpur had asked for a few days' time. But even after 8 months, his legitimate demand was not heard by the railway official. Prakash Kumar Raju told through media that if their demands are not heard soon, they will block the railway tracks. Social worker Prakash Kumar Raju told that along with 48 villages, they will prepare for a movement with the villagers for blocking the railway tracks in Kandra railway track so that soon the date of blocking the railway tracks will be announced. Due to this, if the railway administration is not satisfied, then the responsibility will be of the railway administration. On handing over the demand letter to the MP, MP Joba Manjhi assured that soon the railway minister will be talked to for stopping the railway tracks. *Know which trains' stoppage is the demand*

1. Train number 1818 1/18182 up down Tata Chhapra Express

2. Train number 13288/1328 9 up down Rajendra Nagar Durg South Bihar Express

3. Train number 18616/18617 up down Hatia Howrah Express and Danapur Superfast Express) Stoppage was demanded at Kandra on trial basis for 6 months.