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Wednesday, August 28, 2024

ओडिशा के राज्यपाल रघुबर दास से मिले मंगल सोय।

खरसावां : खरसावां के पूर्व विधायक सह भाजपा के वरीष्ठ नेता मंगल सिंह सोय मंगलवार को ओडिशा के राज्यपाल रघुबर दास से मिले। 
मंगल सोय ने इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया। मंगल सोय ने राज्यपाल रघुबर दास से उनके जमशेदपुर स्थित आवास पर मिले तथा कुशल क्षेम जाना। इस दौरान विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई। मंगल सोय व रघुबर दास के इस मुलाकात के कई राजनीतिक मायनें निकाले जा रहे है।

 मंगल सोय अर्जुन मुंडा खेमे से है तथा 2011 में तत्कालिन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के लिये विधान सभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे चुके है। इसके बाद से ही मंगल सोय राजनीतिक हासिये पर है। पिछले विस चुनाव में भी उन्हें खरसावां से टिकट नहीं मिल था । इस बार के विस चुनाव में वे खरसावां भाजपा टिकट के प्रवल दावेदार है। इस दौरान भाजपा कार्यकर्ता कंचन चौहान भी मौजूद थे। 
 
Mangal Soy meeting Odisha Governor Raghubar Das.

Kharasawan: Former MLA of Kharasawan and senior BJP leader Mangal Singh Soy met with Odisha Governor Raghubar Das on Tuesday. Mangal Soy described this meeting as a courtesy visit. 

He met with Governor Raghubar Das at his residence in Jamshedpur to inquire about his well-being. During the meeting, various topics were discussed. This meeting between Mangal Soy and Raghubar Das is being interpreted with significant political implications. 
Mangal Soy is associated with the Arjun Munda faction, and in 2011, he had resigned from his assembly membership to support then Chief Minister Arjun Munda. Since then, Mangal Soy has been politically sidelined. In the last assembly elections, he did not receive a ticket from Kharasawan. However, this time he is a strong contender for the BJP ticket from Kharasawan. BJP worker Kanchan Chauhan was also present during this meeting.

पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने लिखे अपनी मन की बात एक्स पर

जोहार साथियों,

पिछले हफ्ते (18 अगस्त) मैंने एक पत्र द्वारा झारखंड समेत पूरे देश की जनता के सामने अपनी बात रखी थी। उसके बाद, मैं लगातार झारखंड की जनता से मिल कर, उनकी राय जानने का प्रयास करता रहा। कोल्हान क्षेत्र की जनता हर कदम पर मेरे साथ खड़ी रही, और उन्होंने ही सन्यास लेने का विकल्प नकार दिया।

पार्टी में कोई ऐसा फोरम/मंच नहीं था, जहां मैं अपनी पीड़ा को व्यक्त कर पाता तथा मुझ से सीनियर नेता स्वास्थ्य कारणों से राजनीति से दूर हैं।

आज बाबा तिलका मांझी और सिदो-कान्हू की पावन भूमि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ बहुत बड़ी समस्या बन चुका है। इस से दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है कि जिन वीरों ने जल, जंगल व जमीन की लड़ाई में कभी विदेशी अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं की, आज उनके वंशजों की जमीनों पर ये घुसपैठिए कब्जा कर रहे हैं। इनकी वजह से फूलो-झानो जैसी वीरांगनाओं को अपना आदर्श मानने वाली हमारी माँ, बहनों व बेटियों की अस्मत खतरे में है।

आदिवासियों एवं मूलवासियों को आर्थिक तथा सामाजिक तौर पर तेजी से नुकसान पहुंचा रहे इन घुसपैठियों को अगर रोका नहीं गया, तो संथाल परगना में हमारे समाज का अस्तित्व संकट में आ जायेगा। पाकुड़, राजमहल समेत कई अन्य क्षेत्रों में उनकी संख्या आदिवासियों से ज्यादा हो गई है। राजनीति से इतर, हमें इस मुद्दे को एक सामाजिक आंदोलन बनाना होगा, तभी आदिवासियों का अस्तित्व बच पाएगा।

इस मुद्दे पर सिर्फ भाजपा ही गंभीर दिखती है और बाकी पार्टियां वोटों की खातिर इसे नजरअंदाज कर रही है। इसलिए आदिवासी अस्मिता एवं अस्तित्व को बचाने के इस संघर्ष में, मैने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी एवं गृह मंत्री श्री अमित शाह जी के नेतृत्व में आस्था जताते हुए भारतीय जनता पार्टी से जुड़ने का फैसला लिया है।

झारखंड के आदिवासियों, मूलवासियों, दलितों, पिछड़ों, गरीबों, मजदूरों, किसानों, महिलाओं, युवाओं एवं आम लोगों के मुद्दों एवं अधिकारों के संघर्ष वाले इस नए अध्याय में आप सभी का सहयोग अपेक्षित है।
 
आपका,
चम्पाई सोरेन