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बुधवार, 5 मार्च 2025

हो गया फ़ाइनल!, इस दिन आएगा मंईयां सम्मान योजना के लाभुकों के खाते में पैसा

जनवरी से मार्च तक की राशि एक साथ मिलेगी, 88 हजार लाभुकों को योजना से किया गया बाहर*

मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के लाभुकों के लिए खुशखबरी है। होली से पहले सरकार की ओर से योजना की राशि लाभुकों के बैंक खातों में भेजी जाएगी।

इस बार जनवरी, फरवरी और मार्च की राशि एक साथ दी जाएगी, जिससे लाभुकों को बड़ा राहत मिलेगा।


बुधवार से शुरू होगी भुगतान प्रक्रिया
सामाजिक सुरक्षा विभाग के सहायक निदेशक विक्रम आनंद ने बताया कि बुधवार से जिले के 2 लाख 85 हजार 161 लाभुकों के बैंक खातों में राशि भेजने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

प्रत्येक लाभुक के खाते में तीन महीने की राशि एक साथ भेजी जाएगी।

88 हजार लाभुकों को नहीं मिलेगा लाभ
इस बार योजना के तहत करीब 88 हजार लाभुकों को राशि नहीं मिलेगी।

मंईयां सम्मान योजना के लाभुकों का डेटा PFMS (Public Financial Management System) से मिलान किया गया, जिसमें ये नाम डुप्लीकेट की श्रेणी में पाए गए।

इसके अलावा, भौतिक सत्यापन के दौरान 1155 लाभुक ऐसे मिले जिनकी उम्र 51 वर्ष से अधिक थी।

ऑनलाइन पोर्टल से किया जा रहा भुगतान
पहले योजना की राशि वेबसाइट के माध्यम से लाभुकों के खाते में भेजी जाती थी, लेकिन अब योजना को पारदर्शी बनाने के लिए भुगतान PFMS पोर्टल के माध्यम से किया जा रहा है।

इससे योजना के संचालन में पारदर्शिता बढ़ेगी और गलत लाभुकों को बाहर किया जा सकेगा।

पिछले साल मिले थे 3.72 लाख लाभुकों को पैसे
पलामू जिले में दिसंबर महीने में योजना के 3 लाख 72 हजार 937 लाभुकों के खातों में राशि भेजी गई थी।

लेकिन इस बार 88 हजार लाभुकों को योजना से बाहर किया गया है, जिससे अब कुल 2 लाख 85 हजार 161 लाभुकों के खाते में पैसे भेजे जाएंगे।

अधिकारियों का बयान
सामाजिक सुरक्षा विभाग के सहायक निदेशक विक्रम आनंद ने बताया कि बुधवार को योजना के लाभुकों के बैंक खाते में पैसे भेजे जाएंगे।

एक साथ जनवरी, फरवरी और मार्च का पैसा भेजा जाएगा।

उन्होंने बताया कि 2 लाख 85 हजार 161 लाभुकों के खातों में पैसों की भेजने की प्रक्रिया बुधवार से शुरू होगी।

हेमंत सरकार के पास पैसा खर्च करने का कोई विजन नहीं : बाबूलाल

रांची: झारखंड बजट सत्र के दौरान मंगलवार को भोजनावकाश के बाद बजट पर वाद-विवाद हुआ। इसमें भाग लेते हुए भाजपा के विधायक बाबूलाल मरांडी ने कहा कि राज्य सरकार जनता को दिग्भ्रमित नहीं करे। उन्होंने कहा कि सरकार के पास पैसा खर्च करने का कोई विजन और इच्छानशक्ति ही नहीं है, जबकि सरकार केंद्र पर राशि नहीं देने का आरोप लगाती है। उन्होंने कहा कि राज्य सार्वजनिक उपक्रमों पर सरकार का बकाया है, लेकिन इसके लिए सरकार को प्रॉपर चैनल से प्रयास करना होगा।


बाबूलाल ने कहा कि केंद्र की एनडीए सरकार ने राज्य की ओर से मांगे गए पैसे की तुलना में वित्त वर्ष 21-22 में 125.78 प्रतिशत अधिक पैसा दिया। वहीं 22-23 में 116.28 और वित्त वर्ष 23-24 में 110.58 प्रतिशत राशि मांग की तुलना में अधिक दी गई। उन्होंने कहा कि सरकार काम नहीं कर रही है तो केंद्र सरकार पर आरोप लगाकर पल्ला नहीं झाड़े। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में झारखंड को 14 हजार 373 करोड़ रुपए दिया गया।

पैसे का स्रोत नहीं बताया
बाबूलाल ने कहा कि बजट में सरकार ने गिनाया है कि वह किस-किस मद में कितना पैसे खर्च करेगी, लेकिन यह नहीं बताया गया है कि सरकार पैसे कहां से लाएगी। उन्होंने बताया कि सरकार इस वित्त वर्ष में केवल 58.82 प्रतिशत राशि ही जुटा पाई है। उन्होंने कहा कि बजट में पूंजीगत व्यय को कम रखा गया है, जबकि योजना मद में अधिक खर्च दिखाया गया है जो वित्तीय प्रबंधन के हिसाब से ठीक नहीं है। बाबूलाल ने कहा कि विकास योजनाओं को लेकर टेंडर निकाले जा रहे हैं लेकिन पैसे की कमी बता कर काम शुरू नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार पिछले बजट की राशि खर्च नहीं कर पाई है। उन्होंने बताया कि सरकार कृषि और पशुपालन पर बजट का 54 प्रतिशत, पेयजलापूर्ति पर 18.6, खाद्यान्न योजनाओं पर महज 38 प्रतिशत, पंचायती राज पर 36 तथा सूचना प्रोद्योगिकी पर केवल 7.45 प्रतिशत राशि ही खर्च कर पाई है।

उन्होंने कहा कि कहीं से नहीं लगता है कि यह बजट गरीबी उन्मूलन के लिए है। उन्होंने कहा कि राज्य की 41 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा से नीचे रहती है। हाल के दिनों में राज्य में भूख से कोई मौत नहीं हुई, क्योंकि मोदी सरकार ने कोविड काल से राज्य के हरेक व्यक्ति को पांच किलो अनाज मुहैया करा रही है।

जवाबदेही से भाग नहीं सकती गठबंधन सरकार
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि राज्य की गंठबंधन की सरकार अपनी जिम्मेवारियों से भाग नहीं सकती है, क्योंकि राष्ट्रपति शासन को मिलाकर उसके शासन के भी 11 वर्ष हो गए हैं। राज्य में स्वास्थ्य की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि वि‍भिन्न जिलों में खुले मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों की पर्याप्त‍ संख्या नहीं है। यही वजह है जिलों से मरीजों की भीड़ रिम्स आ रही है। उन्होंने कहा कि किसी भी जिले के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी के कारण ऑपरेशन नहीं होता है।

वाजपेयी को नजरअंदाज करने की नहीं थी उम्मीद
सदन में वित्त मंत्री की ओर से बजट भाषण में झारखंड का गठन कराने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का नाम नहीं लेने पर बाबूलाल मरांडी ने खेद प्रकट किया। उन्होंने कहा कि उन्हें वित्त मंत्री से उम्मीद नहीं थी कि वे पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी को नजरअंदाज करेंगे।