चाकुलिया के जंगलों में इन दिनों काजू के फूलों की खुशबू लोगों को आकर्षित कर रही है. फाल्गुन महीने की शुरुआत के साथ ही काजू के पेड़ों में फूल आना शुरू हो जाते हैं. करीब दो महीने बाद ये फूल काजू के फल में बदल जाते हैं.
काजू का फल फूल के पिछले हिस्से में लटका रहता है, जो देखने में बेहद खूबसूरत लगता है. चाकुलिया, धालभूमगढ़ और बहरागोड़ा बीट में करीब 2200 हेक्टेयर क्षेत्र में काजू के पौधे लगे हैं. पहले यहां सिर्फ काजू के पौधे लगाए जाते थे. लेकिन अब जंगलों में मिश्रित पौधरोपण किया जा रहा है.
इसमें अन्य पौधों के साथ 100 से 5000 तक काजू के पौधे लगाए जाते हैं. इनकी देखरेख और संचालन वन समिति करती है.
बड़े पैमाने पर काजू की खेती होने के बावजूद बहरागोड़ा और मानुषमुडीया में बने काजू प्रोसेसिंग प्लांट कई सालों से बंद पड़े हैं. यहां उत्पादित काजू का लाभ पड़ोसी राज्यों के व्यापारी उठा रहे हैं. पश्चिम बंगाल और ओडिशा के व्यापारी चाकुलिया और बहरागोड़ा से काजू खरीदकर बिक्री कर रहे हैं.
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