खरसावां के कुम्हार साही स्थित सामुदायिक भवन सभागार में उत्कल सम्मेलनों की सरायकेला खरसावां जिला समिति एवं उड़िया शिक्षक संघ के द्वारा उत्कल गौरव स्व मधुसूदन दास की 178 वो जयंती धूमधाम से मनाई गई। इस दौरान उत्कल गौरव मधुसूदन दास के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गई। साथी ही ओड़िया भाषा साहित्य को जन जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया गया। कार्यक्रम में उत्कल सम्मेलनों सरायकेला खरसावां के जिला अध्यक्ष सुमंत मोहंती ने कहा कि ओड़िया भाषा साहित्य ही हमारा लक्ष्य है। विकास के प्रति उत्कल सम्मेलनों गंभीर है। उन्होंने कहा कि मधुसूदन दास के प्रयास से ही 1903 में उत्कल सम्मेलनों का गठन हुआ। इसके बाद सम्मेलनों के प्रयास से ही ओडिशा प्रांत का गठन हुआ। जिला परिदर्शक सुशील षाड़ंगी ने कहा कि उत्कल गौरव मधुसूदन दास द्वारा भाषा साहित्य व संस्कृति के उत्थान के लिए किए गए कार्यों को हमेशा याद किया जाएगा। षाड़ंगी ने कहा कि इस महापुरुष का जन्म 28 अप्रैल 18 48 को ओडिशा में कटक जिले के अंतर्गत ग्राम सत्यभामा पुर में हुआ था। मधु बाबू एक महान व्यक्तित्व के धनी थे। वह प्रथम ओड़िया स्वतंत्रता संग्रामी, ओड़िया राज्य गठन के पुरीधा थे। बैरिस्टर को डिग्री हासिल करने वाले वह प्रथम ओड़िया थे वे हर समय जाति के सम्मान की रक्षा करते रहते थे। श्री षाड़ंगी ने कहा कि ओड़िया भाषा, संस्कृति एवं परंपरा के रक्षक थे। आज हम सभी को उनके द्वारा बताए गए मार्ग का अनुसरण करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मातृभूमि और मातृभाषा की रक्षा करके ही हम समाज में प्रतिष्ठित हो सकते हैं। मधु बाबू कहते थे मातृभूमि ओ मातृभाषा र ममता जा हृदे जनमि नाही,ताकु जदि ज्ञानी गण रे गणि बा अज्ञानी रहिबे काही। इस अवसर पर जिला उत्कल सम्मेलनों जिला अध्यक्ष सुमंत चंद्र मोहंती, जिला उपाध्यक्ष बिरोजा पति, सचिव अजय प्रधान, जिला परिदर्शक सुशील षाड़ंगी, कोषाध्यक्ष सपन मंडल, राजू मंडल, जयजीत षाड़ंगी, चंद्रभानु प्रधान, रंजीत मंडल, भारत चंद्र मिश्रा, पुष्पा पुष्टि,शिव चरण महतो, रंजीता मोहंती, कुंती मंडल, रचिता मोहंती, रेणु महाराणा, पद्मासिनी प्रधान, कनिता दे, सविता विषेय,झुमी मिश्रा, सपना नायक, सत्यव्रत चौहान, आदि मौजूद थे।
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