सरायकेला प्रखण्ड अन्तर्गत बांकसाई गाँव में शिव दुर्गा चड़क पूजा की गई। इस अवसर पर आकर्षक का केंद्र बिंदु भक्ताओं का झूला धुणापाठ रहा। इस दरम्यान भक्ता झूला पर झूले। इसमें आश्चर्चकित करने वाली बात बता दें कि झूला के नीचे बनाए गए अग्नि कुंड में धुणा के साथ साथ ज्वालाशील पदार्थ डाला गया जिससे आगी जलता रहा।
इसके ऊपर भक्ता झूला झुलकर हटभक्ति दिखाई। एक भोक्ता ने बताया कि दैविक शक्ति की वजह से भक्ता आग की लपटों से सुरक्षित निकलते है। उक्त पूजा की शुरुआत शुभघट से हुई। इस दरम्यान भक्ताओं द्वारा स्थानीय सोना नदी से शिवमन्दिर परिसर पर घट पहुंचाया गया।
इसके बाद यात्रा घट, पाठ यात्रा, गरियाभार आदि धार्मिक अनुष्ठान के साथ साथ आस्था पूर्वक मडापाठ हुई । यहाँ वैदिक मंत्रोँ उच्चारण के साथ पुजारी योगेश महापात्र के द्वारा पूजा अर्चना की गई। भक्ता शिव भगवान को खुश करने के लिए उपवास रहकर दंडी पाठ किए।
सोमवार को मडापाठ के साथ धार्मिक अनुष्ठान संपन्न हुई।मडापाठ के दरम्यान भक्ताओं द्वारा स्थानीय सोना नदी तट के श्मशान घाट से भगवान शिव को बांकसाई शिव मन्दिर पहुंचाया गया। पूजा आयोजन कमेटी के पुजारी योगेश महापात्र ने बताया कि जब भगवान शिव को अपने धर्म पत्नी सती की मृत्यु का पता चला, तब भगवान शिव ने तांडव मचा दिया था। शिव दुःख से उन्मत्त होकर, सती की लाश के साथ पूरे ब्रह्मांड में घूमते रहे, जिससे सार्वभौमिक असंतुलन पैदा हुआ। देवताओं ने भगवान विष्णु से शिव को सामान्य स्थिति और शांति प्रदान करने का आह्वान किया गया। तब जाके भगवान शिव शांत हुए।
प्रत्यक्षदर्शी बांकसाई निवासी श्री तारापद साहू (सेवानिवृत शिक्षक) ने बताया कि माता सती की मृत्यु से दुःखी भगवान शिव को मन्दिर परिसर पहुंचाने का कार्यक्रम सन् 1930 ई से बांकसाई गाँव के पूर्वजों द्वारा शुरू किया गया था। इसे आधुनिक युग के युवा पीढी बरकरार रखें है ,जो बड़ी गर्व की बात है। यहाँ की प्राचीन शिव मन्दिर बांकसाई गाँव की पहचान है।
उक्त धार्मिक अनुष्ठान के सफल आयोजन के लिए श्री श्री शिव दुर्गा चड़क पूजा कमेटी बांकसाई के पदाधिकारी भक्ता एव समस्त ग्राम वासियों का सहयोग सराहनीय रहा। मौके पर बिनोद साहू, बुधू रजक, बबलू पाणी, जवाहर नायक,गणेश पंडा, दुखेश्वर् साहू, चित्रमोहन नायक,आशीष आचार्य, मुकेश पंडा , हेमसागर प्रधान,गणेश हरिजन समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।
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