झारखंड, 23 अप्रैल 2025 — नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी, जमशेदपुर के इंग्लिश डिपार्टमेंट द्वारा विश्व के सबसे महान साहित्यकारों में से एक विलियम शेक्सपीयर की 460वीं जयंती को हर्षोल्लास और विद्वतापूर्ण वातावरण में मनाया गया। यह आयोजन यूनिवर्सिटी परिसर के वीर सावरकर ब्लॉक के मल्टीपर्पज़ हॉल में संपन्न हुआ, जिसमें कई प्रतिष्ठित अतिथि, प्राध्यापक, छात्र एवं साहित्य प्रेमी शामिल हुए।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण था करीम सिटी कॉलेज, जमशेदपुर के इंग्लिश डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष डॉ. एस. एम. याहिया इब्राहिम द्वारा दिया गया व्याख्यान। "समकालीन समय में शेक्सपीयर की प्रासंगिकता" विषय पर बोलते हुए उन्होंने शेक्सपीयर के नाटकों, काव्य और पात्रों की बहुआयामी विशेषताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि शेक्सपीयर की मानव स्वभाव की समझ, नैतिक द्वंद्व और दार्शनिक दृष्टिकोण आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उनके समय में थे। उनका व्याख्यान अत्यंत ज्ञानवर्धक रहा और उसके पश्चात छात्रों के साथ एक संवादात्मक सत्र भी हुआ।
कार्यक्रम के अंतर्गत एक निबंध लेखन प्रतियोगिता का भी आयोजन हुआ, जिसका विषय था — "सोशल मीडिया: वरदान या अभिशाप?" इसमें स्नातक और परास्नातक दोनों वर्गों के छात्रों ने भाग लिया और साहित्यिक दृष्टिकोण से इस समकालीन विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए। प्रतियोगिता में प्रथम स्थान बी.ए. इकोनॉमिक्स की अरुणिमा ओझा ने प्राप्त किया, द्वितीय स्थान एम.ए. इंग्लिश की अनेशा सरकार को मिला और तृतीय स्थान बी.ए. पॉलिटिकल साइंस की जीगिशा कुमारी ने हासिल किया।
शेक्सपीयर के जीवन, रचनाओं, पात्रों और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित एक क्विज प्रतियोगिता भी आयोजित की गई, जिसमें छात्रों की टीमों ने अत्यंत उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रतियोगिता में रैपिड-फायर, ऑडियो-विज़ुअल और बज़र राउंड जैसे रोमांचक चरण शामिल थे।
क्विज प्रतियोगिता में प्रथम स्थान बी.ए. इंग्लिश की नंदिता पूर्ती को, द्वितीय स्थान अलीशा ऐमान को और तृतीय स्थान मोनिषा मंडल को मिला।
कार्यक्रम का समापन इंग्लिश डिपार्टमेंट के सहायक प्राध्यापक श्री अवनी सहाय द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने डॉ. इब्राहिम का आभार जताया, यूनिवर्सिटी प्रशासन को सहयोग के लिए धन्यवाद दिया और सभी प्रतिभागियों को सफल आयोजन के लिए बधाई दी। कार्यक्रम का संपूर्ण संचालन इंग्लिश डिपार्टमेंट की सहायक प्राध्यापिका सुश्री अंकिता मोदक के दिशा-निर्देशन में हुआ।
इस अवसर पर सभी बच्चों ने एक बार फिर यह संकल्प लिया कि वह साहित्यिक चेतना, आलोचनात्मक सोच और अकादमिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देता रहेंगे। "शेक्सपीयर की जयंती पर यह आयोजन न केवल उनके योगदान को श्रद्धांजलि था, बल्कि छात्रों और शिक्षकों के बीच अकादमिक ऊर्जा को भी पुनर्जीवित करने वाला क्षण था।"
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