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रविवार, 2 मार्च 2025

kharsawan: चांद के दीदार के साथ रमजान का पवित्र महीना शुरू

चांद के दीदार के साथ रमजान का पवित्र महीना शुरू, अल्लाह की इबादत के लिए होता है रमजान महीना, अन्य महीनों से कई गुना अधिक मितला है इबादद का सवाब
खरसावां : चांद के दीदार के साथ रविवार से रमजान का पवित्र महीना शुरू हो गया है। अल्लाह की इबादत के लिए रमजान महीना अन्य महीनों से कई गुना अधिक इबादद का सवाब मितला है। इस्लाम मजहब में रमजान के महीने को बेहद पाक (पवित्र) माना जाता है। मान्यता के अनुसार, रमजान महीना अल्लाह की इबादत के लिए होता है। इस महीने रोजा (उपवास) रखें जाते हैं। 
पांचों वक्त की नवाज अदा की जाती है। कहा जाता है कि इस महीने की जाने वाली इबादत का सवाब अन्य महीनों से कई गुना ज्यादा मिलता है। रोजेदार के लिए अल्लाह जन्नत की राह खोल देता है। बंदे को हर बुराई से दूर रखकर अल्लाह के नजदीक लाने का मौका देने वाले पाक महीने रमजान की रूहानी चमक से दुनिया एक बार फिर रोशन हो चुकी है 
और फिजा में घुलती अजान और दुआओं में उठते लाखों हाथ खुदा से मुहब्बत के जज्बे को शिद्दत दे रहे हैं। शनिवार की रात में चांद नजर आने के बाद रविवार को पहला रोजा रखा गया। रमजान का महीना बहुत पाक माना गया है। रमजान दूसरों के गुनाहों को माफ करने और खुद पर नियंत्रण रखकर आत्मा को शुद्ध और पवित्र करने का महीना है। खरसावां के बेहरासाई मदिना मस्जिद, कदमडीहा मस्जिद, मस्जिद ए विलाल कदमडीहा, गोढ़पुर मस्जिद में नमाजियों की भीड उमड रही है।  
27 दिनों तक चलेगी तरावीह
खरसावां के बेहरासाई मदिना मस्जिद के मौलाना आरिफ इकबाल रजवी के मुताबिक रमजान के एक दिन पहले से ही मस्जिदों में अलग-अलग समय पर ईशा की नमाज के बाद तरावीह होगी। अधिकतर मस्जिदों में 27 दिनों तक तरावीह चलेगी। ज्यादातर मस्जिद में पांच और तीन पारे हर रोज, जबकि कई मस्जिदों में दो और डेढ़ पारे पढ़े जाएंगे। तरावीह की नमाज के लिए हाफिज-ए-कुरान की चयन प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। रमजान में मुस्लिम समुदाय के लोग ‘ईशा’ (पांच वक्त की नमाज में रात में साढ़े आठ बजे होने वाली अंतिम नमाज) के बाद पूरे महीने विशेष नमाज अदा करते हैं, जिसे ‘तरावीह’ कहा जाता है। इस नमाज में कुरान का पाठ किया जाता है।
बेहद अहम है शब-ए-कद्र की रात
रमजान में शब-ए-कद्र की रात बेहद अहम मानी जाती है। इस दिन रात भर इबादत के बाद मुस्लिम समुदाय के लोग अपने रिश्तेदारों और अजीजों की कब्रों पर सुबह-सुबह फातिहा पढ़कर उनकी मगफिरत यानी मोक्ष के लिए दुआएं मांगते हैं। 
खरसावांः फोटो संख्या 4 खरसावां में रमजान का पवित्र महीना पर बेहरासाई मस्जिद में नमाज अदा करते नमाजी।

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