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बुधवार, 19 मार्च 2025

सरायकेला के जगन्नाथपुर गाँव में सात दिवसीय रामलीला का हुआ आरंभ, देखने जुट रही राम भक्तों की भीड़

सरायकेला प्रखंड अंतर्गत जगन्नाथपुर गांव में श्री रामलीला कथा का शुभारंभ कल शाम से विधिवत शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर भारत के सुप्रसिद्ध गौ रक्षा एवं राम कथा का प्रचार प्रसार मंडली उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से आई हुई है। कार्यक्रम का शुभारंभ सह उद्घाटन समारोह में गणमान्य अतिथियों के द्वारा भव्य तरीके से किया गया। 
इस अवसर पर मुख्य रूप से रेगुंडीह निवासी पंचानन गोपाल महतो , जगन्नाथपुर के बसंत कुमार प्रधान, नागेश्वर प्रधान,शिवरतन प्रधान , जसवंत प्रधान, अर्जुन प्रधान, विजयबसंत प्रधान, तीर्थो प्रधान, भागीरथी प्रधान,मुरुप के जगतकिशोर प्रधान , हेमसागर प्रधान समेत क्षेत्र के प्रबुद्ध नागरिकों की उपस्थिति में उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया। 
उद्घाटन समारोह का मंच संचालन देवीदत्त प्रधान ने किया। इस अवसर पर सभी लोगों ने मर्यादा पुरुषोत्तम रामचंद्र जी, लक्ष्मण कुमार जी, विश्वामित्र जी आदि विग्रह की आरती उतार कर राम कथा को आत्मसात करने का अवसर प्राप्त किया। इस संगीतमय राम कथा का अनुश्रवण कर अपने जीवन में आत्मसात करने का सौभाग्य उपस्थित हुए सभी रामभक्तो को प्राप्त हुआ।
  *ऋषि विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा की रामलक्ष्मण, आकर्षक प्रस्तुति दी रामलीला कार्यक्रम के कलाकार,दर्शक हुए मंत्रमुग्ध* 
सरायकेला के जगन्नाथपुर में आयोजित रामलीला कार्यक्रम में प्रयागराज से पधारे कलाकारों ने कल रात्रि दिखाया गया कि ऋषि विश्वामित्र यज्ञ करते हैं, लेकिन राक्षस आकर उनका यज्ञ नष्ट कर देते हैं। ऋषि दिव्य दृष्टि से देखते हैं कि भगवान नारायण ने राम के रूप में अयोध्या में अवतार लिया है।
विश्वामित्र जी अपने शिष्यों के साथ राजा दशरथ के पास पहुंचते हैं तथा उनसे राम लक्ष्मण को मांगते हैं। राजा दशरथ पहले तो इन्कार करते हैं, लेकिन बाद में गुरु वशिष्ठ जी के समझाने पर राम-लक्ष्मण को विश्वामित्र जी के हाथ में सौंप देते हैं। विश्वामित्र जी उन्हें लेकर अपने आश्रम की ओर चलते हैं तारक वन में भयानक राक्षसी ताड़का मिलती है, 
जिसे भगवान श्रीराम मार डालते हैं, वहां से सभी लोग विश्वामित्रजी के आश्रम में पहुंचते हैं विश्वामित्र जी यज्ञ करने लगते हैं तभी मारीच और सुबाहु राक्षसों के साथ आश्रम में आता है, लेकिन रामचंद्र जी और लक्ष्मण जी सभी राक्षसों का वध कर देते हैं सुबाहु को मार देते हैं, जबकि मारीच को बाण से मारकर लंका भेज देते हैं। विश्वामित्रजी का यज्ञ संपन्न हो जाता है।

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