मुख्य रूप से ओड़िया शिक्षिका पद्मासिनी प्रधान, रंजीता मोहंती, रेणु महाराणा उपस्थित होकर मातृभाषा दिवस मनाया गया। मुख्य वक्ता के रूप में सुशील षाड़ंगी ने कहा कि वर्ष 1961 में कीठारी आयोग ने मातृभाषा को प्राथमिकता के तौर पर पाठ्यक्रम में एक विषय के रूप में शामिल करने की सिफारिश की थी उन्होंने कहा कि मनीभावी का आदान प्रदान ही भाषा है
जो भाषा बच्चा मां को गोद में सीखना है वही मातृभाषा है श्री सड़ंगी ने जानकारी देते हुए कहा कि भारत में कुल 681 भाषाएं बोली जाती है जिनमें से केवल 15 भाषाओं की ही मान्यता प्राप्त है उड़िया उनमें से एक है।श्री षाड़ंगी ने कहा कि उड़िया भाषा को भारत सरकार ने शास्त्रीय भाषा का मान्यता दिया है उसके साथ झारखंड राज्य मैं द्वितीय राजभाषा का दर्जा प्राप्त है
उन्होंने कहा कि उड़िया भाषा साहित्य संस्कृति को रक्षा के लिए मातृभाषा के दिवस के अवसर पर उत्कल सम्मेलनों शिक्षिकाओं एवं ओड़िआ बच्चों ने मातृभाषा बचाए रखने के लिए संकल्प लिया।
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