राजधानी रांची से सटे ओरमांझी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लाखों रुपये की दवा और गोलियां लापरवाही की आग में जलकर राख हो गई। जलती राख लापरवाही और बदइंतजामी की कहानी बयां कर गई। ओरमांझी प्रखंड के पिस्का टुडें स्थित इस अस्पताल में मरीजों के भले के लिये सरकार द्वारा लाखों रुपये की दवा भेजी गई थी, पर समय रहते इनका इस्तेमाल नहीं होने के चलते सभी दवायें एक्सपायर हो गई। दुखद पहलू यह है कि ये दवायें जरूरतमंद तक नहीं पहुंच अस्पताल परिसर में ही जलाकर राख कर दी गई। मतलब मरीजों को तो दवायें नहीं मिलती और दवायें धुएं में उड़ जाती है। इस बारे में जब स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि दवाओं का जलाना नहीं चाहिये था, इसपर जांच की जायेगी। इस जवाब को भी समझा जा सकता है।
इसी तरह महामारी कोरोना काल में इस अस्पताल में करोड़ों रुपये की लागत से ऑक्सीजन प्लांट बनाया गया था, अब यह प्लांट शोपीस बनकर रह गया है। इसे चलाने के लिये कोई ऑपरेटर तक नहीं है। आज की तारीख में हालत जस की तस है। कभी लाखों रुपये खर्च कर अस्पताल परिसर में शौचालय बनाये गये थे, वो शौचालय अपने हाल पर रो रहा है। शौचालय की हालत देख यह कहा जा सकता है कि साफ-सफाई केवल कागजों पर होती है। सबसे हैरत की बात यह है कि खराब पड़े शौचालय के बगल में ही लाखों रुपये खर्च कर फिर से नये शौचालय बना दिये गये। कहते हैं अस्पताल वो जगह होती है, जहां जिंदगियां बचती है, मगर यहां का हाल ही निराला है।
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