लखनऊ:कभी समाज ने उन्हें पागल कहा, तो परिवार ने भी मान लिया कि अब वह पागल होते जा रहे हैं. यह कहानी है आईआईटी इंजीनियर अभय सिंह की, जो हरियाणा के हिसार के रहने वाले हैं और फिलहाल कुंभ मेले में बाबा बने हुए हैं. अभय सिंह को जीवन के सत्य को जानने का गहरा जुनून था, इसीलिए उन्होंने इस रास्ते पर चलने का निर्णय लिया…
वे फिलहाल महाकुंभ में हैं, जहां उन्हें काशी में जूना अखाड़ा के एक संत लेकर आए हैं. यहां, अभय सिंह साधु वेश में रहकर कुंभ के अनुभवों को सीख रहे हैं और इस समय वह काफी वायरल हो रहे हैं. उनका जीवन एक अद्भुत यात्रा का उदाहरण बन चुका है, जो समाज की सीमाओं को पार करते हुए अपने सत्य की खोज में अग्रसर है.बता दें कि अभय ने अपने पहले अटेंप्ट में ही आईआईटी एंट्रेंस क्लियर कर लिया था…
अभय ने कहा, ‘मैं तो बस सीखने आया हूं मैं किसी मत से जुडा नहीं हूं, कहीं दीक्षित नहीं हूं, कोई साधु या महंत नहीं हूं. मुझे तो मोक्ष के लिए आने वाली हर बाधा को दूर करना है. जटाएं तो बहुत सुंदर होती हैं, मेरी स्पिरिचुअल जर्नी नीचे नहीं ऊपर गई है. मैं बिल्कुल फ्लूइड रूप में हूं, मुक्त हूं मैं कुछ भी कर सकता हूं…
डिप्रेशन में थे अभय
अभय ने बताया कि आईआईटी मुंबई में जाने के बाद उन्हें अपनी लाइफ को लेकर चिंता हुई और उन्होंने सोचा कि अब वे क्या करेंगे. बातचीत में अभय ने कहा, ‘प्रश्न से ही कोई यात्रा शुरू होती है मेरे मन में भी कई प्रश्न थे. आईआईटी में जाने के बाद मेरे मन में भी प्रश्न आया कि अब लाइफ में क्या करूं. कुछ ऐसा ढूंढना था कि आजीवन कर सकूं. आईआईटी के बाद तो क्या करता कोई कंपनी ज्वॉइन करता, कितने प्लेन बनाता, मैं भी डिप्रेशन में आया था.
फिर कई सवाल आए कि इस जिंदगी में क्या है आगे क्या करूं. बीच में मेंटल हेल्थ का भी सवाल आया, एंजायटी और टेंशन जीवन में आती है, मैं भी भारी डिप्रेशन में आ गया था. मैं बहुत खतरनाक डिप्रेशन में था, नींद नहीं आती थी, एक ही चीज़ सोचता रहता था फिर मैंने सोचा कि यह सिस्टम क्या है दिमाग क्या चीज है. नींद क्यों नहीं आ रही, यह मन है क्या चीज? इसके बाद मैंने साइकोलॉजी पढ़ी. इसके बाद मैं इस्कॉन की तरफ मुड़ा और कृष्ण के बारे में पढ़ा.’….
बचपन में घर से भागना चाहते थे अभय
अभय ने आगे कहा, ‘ लोग तो मुझे पागल समझने लगे थे. अगर मुझे लोग पागल बोलते थे तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. मेरे परिवार की बिल्कुल अलग स्टोरी है, मुझे बचपन में ख्याल आता था कि मैं घर से भाग जाऊं क्योंकि मैं परिवार से परेशान था. उनकी अलग टाइप की सोच थी. मुझे घर से दूर जाना था इसलिए मैंने आईआईटी मुंबई का चुनाव किया और मुझे अच्छा लगा तो एयरोस्पेस करने लगा.’ अभय ने बताया कि एक समय में वह फोटोग्राफी भी किया करते थे…
काशी में गुरु से हुई थी मुलाकात फिर ऐसे महाकुंभ पहुंचे अभय
अभय ने आगे कहा, ‘मैं अटकना नहीं चाहता मैं रुकना नहीं चाहता. जब आदमी कहीं भी नहीं अटकता तब वह मुक्त हो जाता है.’ अभय ने बताया कि वह काशी में आकर बाबा सोमेश्वर पुरी से मिले थे और उन्होंने अभय को काफी लोगों से मिलवाया था. बाबा सोमेश्वर पुरी ने इसे अघोरियों से मिलाया. जूना अखाड़ा के महात्माओं से मिलाया और इंडिपेंडेंस साधु जो 20, 30 साल से साधना कर रहे हैं उनसे मिलवाया…
इंडियन एयर फोर्स में थे अभय के गुरु
अभय के गुरु संत बाबा सोमेश्वर पुरी खुद इंडियन एयर फोर्स में एरियल फोटोग्राफी कर चुके हैं. दोनों की मुलाकात की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. इंडियन एयर फोर्स में एरियल फोटोग्राफी करने वाले बाबा सोमेश्वर पूरी और IIT ऐरोस्पेस करने वाले अभय सिंह अब दोनों ही आध्यात्म के रास्ते पर हैं. सोमेश्वर पुरी ने बताया कि अभय सिंह बहुत ब्रिलिएंट छात्र था. उन्होंने कहा, ‘पहले ही अटेंप्ट में इसने ईट क्रैक किया. यही नहीं 500 के आसपास रैंक भी आई थी लेकिन जीवन का मकसद अलग है. इसे सभी समझ नहीं पाए इसे कुछ पाना नहीं बल्कि खुद को मुक्त करना है.’….
इसे लेकर अभय ने कहा मैं नो बॉडी (No Body) रहना चाहता हूं, समबडी नहीं (Somebody). मेरी असली परीक्षा है कि मैं बैरागी रह सकता हूं कि नहीं. यह मेरी परीक्षा है अगर फेल हुआ तो कोई नहीं और पास हो गया तो मुक्त हो जाऊंगा……
0 Comments:
Post a Comment