इसी बीच भारतीय जनता पार्टी को एक बार फिर से एक बड़ा झटका लगा है। दरअसल पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष जवाहर पासवान ने भाजपा छोड़कर झारखंड मुक्ति मोर्चा का दामन थाम लिया है।
झारखंड विधानसभा चुनाव के ऐलान के बाद से ही नेताओं का एक पार्टी से दूसरे पार्टी में आना-जाना लगा हुआ है। इसी बीच भारतीय जनता पार्टी को एक बार फिर से एक बड़ा झटका लगा है। दरअसल पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष जवाहर पासवान (Jawahar Paswan) ने भाजपा छोड़कर झारखंड मुक्ति मोर्चा का दामन थाम लिया है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पासवान को खुद झामुमो में शामिल कराया। जिसके बाद से राजनीतिक हलचल काफी तेज हो गई है।
जवाहर पासवान का राजनीतिक सफर :-
जवाहर पासवान भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे हैं और 2007 में पार्टी के लोकसभा प्रत्याशी भी रह चुके हैं। उनकी झामुमो में शामिल होने की घोषणा रविवार को एक जनसभा के दौरान हुई।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई, जो भाजपा के लिए एक बड़ा नुकसान साबित हो सकता है।
हेमंत सोरेन का भाजपा पर हमला :-
इस दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी अब सूखते हुए पेड़ की तरह हो गई है। उन्होंने आगामी 5 वर्षों में आर्थिक सहयोग और विकास के वादे करते हुए कहा कि भाजपा को एक बार फिर सत्ता से बाहर किया जाएगा।
सोरेन ने भाजपा को कठोर शब्दों में चेतावनी दी कि जो लोग राज्य में गड़बड़ी करने की कोशिश करेंगे, वे जेल जाएंगे। उन्होंने राज्य में हुई परीक्षाओं की जांच का जिक्र करते हुए कहा कि गड़बड़ी करने वालों की पहचान हो चुकी है और चुनावों के बाद उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
क्यों दो चरणों के बजाय पांच चरण नहीं?
हेमंत सोरेन ने केंद्रीय गृह मंत्री Amit Shah को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि राज्य में अगर नक्सलवाद पूरी तरह खत्म हो चुका है, तो चुनाव दो चरणों में क्यों कराए जा रहे हैं, पांच चरणों में क्यों नहीं। यह बयान राज्य की सुरक्षा स्थिति पर भाजपा के दावों पर सवाल उठाता है।
उन्होंने केंद्र सरकार पर बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर भी हमला बोला और कहा कि सीमा सुरक्षा की जिम्मेदारी पूरी तरह केंद्र सरकार की है, न कि राज्य सरकार की।
हेमंत सोरेन ने भाजपा के शासन और उसके नीतिगत रवैये पर कई गंभीर सवाल उठाए, जो आगामी चुनाव में प्रमुख मुद्दों में से एक हो सकते हैं।
Another Major Setback for BJP! State Vice President Jawahar Paswan Joins JMM.
Once again, the Bharatiya Janata Party (BJP) has faced a significant setback. The party's state vice president, Jawahar Paswan, has left the BJP and joined the Jharkhand Mukti Morcha (JMM).
Since the announcement of the Jharkhand Assembly elections, leaders have been switching from one party to another.
Amid this, the BJP has suffered another big blow, as Jawahar Paswan, the party's state vice president, has left to join the JMM. Chief Minister Hemant Soren personally welcomed Paswan into the JMM, igniting significant political activity.
Jawahar Paswan's Political Journey:-
Jawahar Paswan served as the state vice president for BJP and was also a Lok Sabha candidate for the party in 2007. His decision to join the JMM was announced during a public gathering on Sunday.
Chief Minister Hemant Soren formally inducted him as a party member, which could prove to be a major loss for the BJP.
Hemant Soren attack on BJP:-
During the event, Chief Minister Hemant Soren criticized the BJP, describing it as a withering tree. He made promises of economic support and development in the coming five years and declared that the BJP would once again be ousted from power.
Soren issued a stern warning to the BJP, saying that those attempting to disrupt the state would end up in jail. He mentioned the ongoing examination investigations in the state, noting that those involved in malpractices had been identified and would face strict action after the elections.
Why Not Five Phases Instead of Two?
Soren targeted Union Home Minister Amit Shah, questioning why elections were being held in only two phases if Naxalism had indeed been completely eradicated from the state. He asked why the elections were not spread over five phases. This statement casts doubt on BJP’s claims regarding the state’s security situation.
He also took on the central government over the issue of Bangladeshi infiltration, stating that border security is entirely the responsibility of the central government, not the state government.
Hemant Soren raised serious questions about the BJP’s governance and its policy approach, which could become major issues in the upcoming election.
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