बंगाल का राजभवन वक्फ का, देश का सबसे बड़ा ‘कलकत्ता गोल्फ कोर्स’ भी उसी का: बवाल होने पर बंगाल वक्फ बोर्ड ने पल्ला झाड़ा… तो कौन ले रहा
कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर दावा किया गया कि पश्चिम बंगाल का राजभवन वक्फ संपत्ति है। जब पोस्ट वायरल हुआ तो पश्चिम बंगाल वक्फ बोर्ड ने उस दावे के खारिज कर दिया। बंगाल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष साहिदुल मुंशी ने कहा कि बोर्ड के पास इस बात की कोई तथ्यात्मक जानकारी नहीं है कि बंगाल राजभवन वक्फ संपत्ति है। उन्होंने कहा कि राज्य में 80,000 वक्फ संपत्तियाँ हैं।मुंशी ने कहा कि बंगाल का राजभवन वक्फ संपत्ति के तहत पंजीकृत नहीं है। साहिदुल मुंशी ने कहा, “हम वक्फ रजिस्टर रखते हैं और जो हमारी संपत्तियाँ हैं उनका हम उसमें जिलेवार नामांकन हैं। बंगाल में वक्फ की करीब 8,000 नामांकित संपत्तियाँ हैं, जबकि कुल संपत्ति करीब 80,000 हैं।” उन्होंने कहा कि कोई भी RTI डालकर इसकी जानकारी हासिल कर सकता है।
बंगाल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष साहिदुल मुंशी ने भले ही बंगाल राजभवन को वक्फ संपत्ति मानने से इनकार कर दिया, लेकिन ममता बनर्जी की सरकार में मंत्री जैसे संवैधानिक पद पर बैठे सिद्दीकुल्लाह चौधरी ने यह दावा किया था। बंगाल में सामूहिक शिक्षा मंत्री चौधरी ने 16 नवंबर 2024 को जी मीडिया से बात करते हुए दावा किया था कि धर्मतल्ला से लेकर कॉलिन स्ट्रीट तक वक्फ संपत्ति है।
हालाँकि, राजभवन के वक्फ संपत्ति होने को लेकर इंडियन एक्सप्रेस एवं प्रभात खबर जैसे अंग्रेजी एवं हिंदी के प्रसिद्ध अखबारों ने एक विस्तृत रिपोर्ट छापी। इंडियन एक्सप्रेस ने 11 सितंबर 2013 को अपने वेब पोर्टल की रिपोर्ट में कहा कि 12 इमामों सहित 22 मुस्लिम संगठनों ने माँग की थी कि मुअज्जिन और इमामों को वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को किराए पर देने से उत्पन्न राजस्व से मासिक वजीफा दिया जाए।
ऑल बंगाल इमाम और मुअज्जिन समिति के अध्यक्ष एटीएम रफीकुल हसन ने कहा था, “हम भिखारी नहीं हैं। हम अपना अधिकार माँग रहे हैं। राज्य भर में 29,000 से अधिक वक्फ संपत्तियाँ हैं। कोलकाता में ही गवर्नर हाउस, राज्य विधानसभा और आकाशवाणी भवन जैसे कई प्रतिष्ठित प्रतिष्ठान वक्फ संपत्ति पर बने हैं। हमारी माँग है कि वक्फ बोर्ड को मौजूदा बाजार दर के अनुसार किराया दिया जाए।”
ऑल बंगाल माइनॉरिटी यूथ फेडरेशन के महासचिव एमडी कमरुज्जमां ने कहा था कि पुलिस-प्रशासन को अतिक्रमणकारियों से वक्फ संपत्तियों को खाली कराना चाहिए और उन्हें व्यावसायिक उपयोग में लाना चाहिए। इस संबंध में इमामों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और वक्फ बोर्ड को एक ज्ञापन भी सौंपा था। तब वक्फ बोर्ड के अधिकारियों ने भी राज्य में फैले वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण की बात स्वीकार की।
पश्चिम बंगाल वक्फ बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष मोहम्मद अब्दुल गनी ने कहा था 356 बीघे में फैले गवर्नर हाउस से वक्फ बोर्ड को प्रति माह केवल 27.25 रुपए किराया मिलता है, जो नाकाफी है। उन्होंने कहा था कि कोलकाता में ही करीब 1,273 एकड़ जमीन वक्फ की है। ये नामांकित संपत्तियों में से हैं। उन्होंने कहा था कि कई संपत्तियाँ ऐसी हैं, जिनका नामांकन किया जाना बाकी है।
इसी तरह, हिंदी अखबार प्रभात खबर ने अपने पोर्टल पर 24 जनवरी 2014 के लेख में कहा है कि कोलकाता में 27 एकड़ में फैले राजभवन का किराया केवल 147 रुपया है। राजभवन वक्फ की संपत्ति है और अब्दुल मतीन एवं मोहम्मद अयूब इस वक्फ संपत्ति के मोतवल्ली (केयर टेकर) हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 1797 ईस्वी में इस संपत्ति को वक्फ किया गया था। हालाँकि, रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि इस संपत्ति को किसने दान की थी।
तब पश्चिम बंगाल वक्फ बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष मोहम्मद अब्दुल गनी ने कहा था, “यह मामला राज्यपाल के निवास स्थान का है। इसलिए हम लोग कोई कानूनी कार्रवाई करने से पहले इस मुद्दे पर राज्य सरकार से बात करेंगे।” उन्होंने कहा था कि कोलकाता में राजभवन के अलावा और भी कई बड़ी संपत्तियाँ वक्फ की हैं। इन संपत्तियों के किराए के नाम पर ‘भीख’ दी जाती है।
इसी रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 20+ बीघा जमीन पर फैले देश का सबसे बड़ा गोल्फ कोर्स ‘रॉयल कलकत्ता गोल्फ कोर्स’ भी वक्फ की संपत्ति है। प्रिंस अनवर शाह चौराहे पर बनी टीपू सुल्तान मस्जिद के नाम यह वक्फ संपत्ति है। किराए के मुद्दे पर काफी विवाद के बाद गोल्फ कोर्स प्रबंधन ने कुछ वर्ष पहले एक लाख रुपए मासिक किराया देना मंजूर किया था।
इसके अलावा, बैंकशाल कोर्ट के सामने बनी बहुमंजिली ‘शॉ वालिस बिल्डिंग’ को भी वक्फ संपत्ति बताया गया है। इस इमारत का किराया 32,000 रुपए दिया जाता और काफी तूल के बाद इसका वक्फ बोर्ड को छह लाख रुपए मिलता है। हालाँकि, इस किराए से भी वक्फ बोर्ड संतुष्ट नहीं है। इतना ही नहीं, पश्चिम बंगाल विधानसभा, आकाशवाणी भवन, इडेन गार्डेस को भी वक्फ की संपत्ति बताया गया था।
अब सवाल है कि वर्तमान बंगाल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सहिदुल मुंशी कह रहे हैं कि राजभवन के वक्फ बोर्ड होने की जानकारी नहीं है, तो पहले के अध्यक्षों ने इस तरह का दावा क्यों किया। इसके अलावा, राजभवन की जमीन के लिए 147 रुपए का किराया किसे दिया जाता है और किस आधार पर दिया जाता है। क्या वर्तमान वक्फ बोर्ड ने इस किराया को लेने से यह कहकर कभी इनकार किया कि राजभवन की संपत्ति वक्फ है इसका प्रमाण उसके पास नहीं है और इसलिए वह इसका किराया नहीं ले सकता।
संभवत: पश्चिम बंगाल वक्फ बोर्ड के किसी भी अधिकारी या अध्यक्ष या किसी मुस्लिम संगठन ने ऐसा नहीं कहा। ऐसे में मुंशी का हालिया बयान संदेह उत्पन्न करने वाला है। तो क्या वर्तमान वक्फ कानून को ध्यान में रखते हुए मुंशी कह रहे हैं कि राजभवन वक्फ संपत्ति नहीं है, क्योंकि बंगाल की कई संपत्तियाँ जाँच के दायरे में आ जाएँगी, जिन पर मुस्लिम संगठन एवं वक्फ बोर्ड पहले से दावा करते रहे हैं?
बता दें कि देश के विभिन्न हिस्सों में वक्फ बोर्डों द्वारा हजारों साल पुराने मंदिरों से लेकर हिंदुओं के गाँव के गाँव पर वक्फ संपत्ति होने का दावा ठोका जा रहा है। कर्नाटक, तमिलनाडु सहित कई राज्यों में पिछले कुछ दिनों से ऐसे मामले सामने आए हैं। इस बीच मोदी सरकार वक्फ संशोधन बिल शीतकालीन सत्र में पेश करने की तैयारी कर रही है। इसको लेकर वक्फ बोर्ड में हाहाकार मचा हुआ है।
रेलवे और रक्षा मंत्रालय के बाद वक्फ बोर्ड भारत की तीसरी सबसे अधिक संपत्ति वाली संस्था है। दिसंबर 2022 तक वक्फ बोर्ड के पास कुल 8,65,646 अचल संपत्ति थीं, जिसकी कीमत 9.4 लाख करोड़ रुपए से भी अधिक है। वहीं, साल 2009 तक वक्फ के पास चार लाख एकड़ ज़मीन पर 3 लाख पंजीकृत संपत्तियाँ थीं। पिछले 13 सालों में वक्फ की संपत्ति दोगुनी हो गई है
Sonia Gandhi’s Manmohan Government’s Waqf Law Sparks New Controversy
West Bengal’s Raj Bhavan declared Waqf property, so is the country’s largest ‘Calcutta Golf Course’: Amid uproar, Bengal Waqf Board distances itself… But who benefits?
Recently, claims surfaced on social media suggesting that West Bengal’s Raj Bhavan is Waqf property. As the post went viral, the West Bengal Waqf Board dismissed the claim. The Board's chairman, Sahidul Munshi, stated that there is no factual evidence to support the claim that Bengal’s Raj Bhavan is Waqf property. He added that the state has around 80,000 Waqf properties.
Munshi clarified that Bengal’s Raj Bhavan is not registered as Waqf property. “We maintain a Waqf register with district-wise listings of our properties. In Bengal, there are approximately 8,000 registered Waqf properties, while the total number is about 80,000,” he said, adding that anyone could verify this information through RTI.
Although Sahidul Munshi denied the claim that Raj Bhavan is Waqf property, Siddiqullah Chowdhury, a minister in Mamata Banerjee’s government, asserted otherwise. On November 16, 2024, Bengal’s Minister for Mass Education, Chowdhury, claimed in an interview with Zee Media that the area from Dharmatala to Colleen Street is Waqf property.
The matter gained traction as prominent publications such as The Indian Express and Prabhat Khabar published extensive reports. The Indian Express, in a report on its web portal dated September 11, 2013, stated that 22 Muslim organizations, including 12 Imams, demanded monthly stipends for Imams and Muezzins funded by rental revenue from Waqf properties.
ATM Rafiqul Hassan, President of the All Bengal Imam and Muezzin Committee, said, “We are not beggars. We are asking for our rights. There are over 29,000 Waqf properties across the state, including prominent establishments like Governor House, State Assembly, and All India Radio building in Kolkata. We demand that rent be paid to the Waqf Board at prevailing market rates.”
MD Qamaruzzaman, General Secretary of the All Bengal Minority Youth Federation, urged authorities to evict encroachers from Waqf properties and repurpose them for commercial use. A memorandum was also submitted to Chief Minister Mamata Banerjee and the Waqf Board. The Board had previously admitted to widespread encroachments on Waqf properties across the state.
Former Waqf Board Chairman Mohammad Abdul Gani revealed that the Governor House, spread over 356 bighas, paid only INR 27.25 as monthly rent, which was insufficient. He further stated that Waqf-owned land in Kolkata spans approximately 1,273 acres, with many properties yet to be registered.
Similarly, Prabhat Khabar published a report on January 24, 2014, stating that the 27-acre Raj Bhavan pays a rent of just INR 147. The property is Waqf-owned, with Abdul Matin and Mohammad Ayub acting as caretakers. The report mentions that the property was designated as Waqf in 1797 but doesn’t clarify who donated it.
Mohammad Abdul Gani, addressing the issue during his tenure, stated, “This involves the Governor’s residence, so we need to consult the state government before taking legal action.” He also pointed out that other significant properties in Kolkata, apart from Raj Bhavan, are Waqf-owned but receive negligible rent.
The report further highlights that the country’s largest golf course, the 20+-bigha ‘Royal Calcutta Golf Course,’ is Waqf property under Tipu Sultan Mosque. Following disputes, the management agreed to pay INR 1 lakh monthly rent a few years ago.
Other properties, such as the multi-storied ‘Shaw Wallace Building’ near Bankshall Court, were also declared Waqf properties. While initially paying INR 32,000 in rent, the amount was later revised to INR 6 lakh following disputes. However, the Waqf Board remains dissatisfied. Additional establishments like the West Bengal Assembly, All India Radio Building, and Eden Gardens are also reportedly on Waqf land.
The question now arises: If current Waqf Board Chairman Sahidul Munshi denies knowledge of Raj Bhavan being Waqf property, why did previous chairpersons make such claims? Additionally, who receives the INR 147 rent for Raj Bhavan, and on what basis? Did the current Waqf Board ever reject the rent, citing a lack of evidence to support the property being Waqf-owned?
Notably, no Waqf Board official, chairman, or Muslim organization has made such a statement. Munshi’s recent denial raises doubts. Is it because acknowledging Raj Bhavan as Waqf property under the current Waqf law could bring many other properties under scrutiny, properties previously claimed by Muslim organizations and the Waqf Board?
It’s worth mentioning that across India, Waqf Boards have been claiming ownership of ancient temples and entire Hindu villages. States like Karnataka and Tamil Nadu have reported similar cases. Meanwhile, the Modi government is preparing to introduce the Waqf Amendment Bill in the winter session, causing significant unrest among Waqf Boards.
The Waqf Board is India’s third-largest land-owning entity, after the Railways and the Defense Ministry. As of December 2022, the Board owned 865,646 immovable properties worth over INR 9.4 lakh crore. By 2009, it had 300,000 registered properties over 400,000 acres. In the last 13 years, Waqf-owned properties have doubled.
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