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Friday, November 15, 2024

झारखंड के विकास के लिए सभी को करने होंगे प्रयास

झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है और पहनावे से संस्कृति नहीं बदलती, बल्कि राज्य को आगे ले जाने के लिए सामाजिक एवं शैक्षिक क्षेत्र में व्यापक सुधार आवश्यक हैं
झारखंड एकेडमिक फोरम(जेएएफ) ने राज्य के 24वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर दिल्ली विश्वविद्यालय के गांधी भवन में एक परिचर्चा एवं मिलन समारोह का आयोजन किया, जिसमें उपस्थित वक्ताओं और बुद्धिजीवियों ने राज्य की आर्थिक और सामाजिक स्थिति, शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहन संवाद किया.कार्यक्रम में वक्ताओं ने झारखंड की सांस्कृतिक विरासत, सामाजिक प्रगति और राज्य की विकास यात्रा पर अपने विचार साझा किए साथ ही राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को संजोने और उसके संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि झारखंड की परंपराओं और रीति-रिवाजों को अगली पीढ़ियों तक पहुंचाना जरूरी है.
वक्ताओं ने झारखंड की प्रगति के लिए संभावनाओं पर चर्चा करते हुए राज्य को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए आवश्यक कदमों पर भी सुझाव दिए. समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भारत विकास परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुरेश जैन और संयोजन के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय के सीनियर प्रोफेसर तथा झारखंड एकेडमिक फोरम के संस्थापक व संयोजक प्रो. निरंजन कुमार भी उपस्थित रहे. कार्यक्रम में सभ्यता अध्ययन केंद्र के निदेशक रवि शंकर, लक्ष्मण भाव सिंह, मुरारी शरण शुक्ला सहित बड़ी संख्या में झारखंड से जुड़े अध्यापक और छात्र भी अपने सुझाव दिये. 
सामाजिक, शैक्षणिक क्षेत्र में व्यापक सुधार की जरूरत
सुरेश जैन ने झारखंड से जुड़े अपने अनुभव को साझा करते हुए झारखंड के विकास में शिक्षा, संस्कृति, और सामाजिक समरसता के महत्व को रेखांकित किया. उन्होंने बताया कि किस प्रकार से झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. उन्होंने कहा कि पहनावे से संस्कृति नहीं बदलती, बल्कि राज्य को आगे ले जाने के लिए सामाजिक एवं शैक्षिक क्षेत्र में व्यापक सुधार आवश्यक हैं. कश्मीर, उत्तराखंड, नागालैंड, झारखंड आदि राज्यों की विलुप्त होती संस्कृति को आज के समय में बचाने की जरूरत है एवं अग्रिम विकसित राज्य के रूप में वहां गरीब लोगों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है.
झारखंड एकेडमिक फोरम के संस्थापक एवं संयोजक प्रो. निरंजन कुमार ने कहा कि झारखंड सांस्कृतिक और प्राकृतिक रूप से सम्पन्न होने के बाद भी शिक्षा,स्वास्थ्य व रोज़गार आदि सभी विकास के पैमानों में भारत के सबसे पिछड़े राज्यो में से है इसलिए हम सभी को संकल्पबद्ध होकर झारखंड के विकास के लिए प्रयास करना होगा.
वहीं रवि शंकर ने भारतीय सभ्यता और संस्कृति में झारखंड के योगदान की सराहना की व इनके रक्षा व विकास दोनों पर बल दिया. लक्ष्मण भावसिंहका ने समाजसेवा के माध्यम से झारखंड की उन्नति की दिशा में किए जा रहे कार्यों पर प्रकाश डाला व कहा कि ट्राइबल केंद्रित होना राज्य के विकास में सबसे बड़ी बाधा है. मुरारी शरण शुक्ला ने झारखंड में जनजातीय संस्कृति की महत्ता को बताते हुए राजनीतिक जागरूकता को बढ़ावा देने पर जोर दिया. कार्यक्रम में झारखंड से जुड़े प्रोफेसरों, पत्रकारों, शिक्षकों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों व विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोगों की सहभागिता रही.

Efforts Needed from Everyone for Jharkhand's Development

Jharkhand's cultural heritage can play an important role in the nation’s development, and it is not attire that changes culture. Instead, extensive reforms in the social and educational sectors are essential to take the state forward.
On the eve of Jharkhand's 24th Foundation Day, the Jharkhand Academic Forum (JAF) organized a discussion and gathering at Gandhi Bhavan, University of Delhi. Here, speakers and intellectuals engaged in an in-depth dialogue on critical issues such as the state's economic and social status, education, health, and rural development. The speakers shared their views on Jharkhand’s cultural heritage, social progress, and development journey, emphasizing the need to preserve and pass on Jharkhand’s traditions and customs to future generations.
While discussing possibilities for Jharkhand’s progress, speakers suggested necessary steps to take the state to new heights. The event saw Suresh Jain, National Organization Secretary of Bharat Vikas Parishad, as the chief guest, with Professor Niranjan Kumar, Senior Professor at the University of Delhi and founder and coordinator of the Jharkhand Academic Forum, leading the organization. Ravi Shankar, Director of the Center for Civilization Studies, along with Lakshman Bhav Singh, Murari Sharan Shukla, and numerous teachers and students associated with Jharkhand also shared their suggestions.
Need for Extensive Reforms in Social and Educational Sectors

Suresh Jain shared his experiences related to Jharkhand, highlighting the importance of education, culture, and social harmony in Jharkhand’s development. He pointed out how Jharkhand's cultural heritage can play a significant role in the nation's growth. Jain emphasized that cultural identity doesn’t change with attire; rather, substantial improvements in the social and educational fields are necessary to advance the state. He mentioned that states like Kashmir, Uttarakhand, Nagaland, and Jharkhand need efforts to preserve their endangered cultures, as well as uplift their economically marginalized populations to establish them as leading states.
Professor Niranjan Kumar, founder and coordinator of Jharkhand Academic Forum, noted that although Jharkhand is rich in culture and natural resources, it remains one of India’s most backward states in terms of education, health, and employment. Thus, everyone needs to commit to making efforts for Jharkhand’s development.
Ravi Shankar praised Jharkhand's contribution to Indian civilization and culture, stressing the importance of protecting and advancing these elements. Lakshman Bhav Singh shed light on Jharkhand’s development efforts through social work, stating that being overly tribal-focused poses a significant challenge to the state’s growth. Murari Sharan Shukla emphasized the importance of political awareness in preserving the relevance of tribal culture in Jharkhand. The event saw participation from professors, journalists, teachers, researchers, students, and people from various fields connected to Jharkhand.


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