मध्य प्रदेश के बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने 21 नवंबर 2024 को ‘हिंदू एकता यात्रा’ की शुरुआत की। इसका उद्देश्य सनातन धर्म की एकता को बढ़ावा देना और जात-पात की दीवारों को तोड़ना है। इस यात्रा में राजनीति तब गर्मा गई जब कांग्रेस विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह ने इसमें भाग लिया। जयवर्धन ने यात्रा के दौरान हिंदू एकता और सनातन धर्म के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया।
जयवर्धन सिंह का बयान
यात्रा में शामिल होकर जयवर्धन सिंह ने कहा:
> “यह यात्रा किसी पार्टी की नहीं, बल्कि सनातन धर्म की है। जात-पात को खत्म कर समाज को एकजुट करना जरूरी है। अगर संत सनातन बोर्ड बनाने की बात कर रहे हैं, तो यह सही दिशा में कदम है। हम सनातन के भक्त हैं और हमेशा रहेंगे। भारत स्वाभाविक रूप से हिंदू राष्ट्र है क्योंकि यह हिंदू धर्म की जन्मभूमि है।”
जयवर्धन ने हिंदुओं की एकता पर जोर देते हुए कहा कि जाति आधारित भेदभाव को समाप्त करना और कर्म को प्राथमिकता देना जरूरी है। उन्होंने भगवान कृष्ण का उदाहरण देते हुए कहा कि समाज का कल्याण कर्मों से होगा।
दिग्विजय सिंह और जयवर्धन सिंह की विचारधारा में अंतर
जहाँ जयवर्धन ने हिंदू धर्म और एकता की वकालत की, वहीं उनके पिता दिग्विजय सिंह का रुख अक्सर अलग रहा है। दिग्विजय के ‘भगवा आतंकवाद’ वाले बयान चर्चा का विषय रहे हैं। जयवर्धन की इस यात्रा में भागीदारी को उनकी स्वतंत्र विचारधारा के रूप में देखा जा रहा है।
धीरेंद्र शास्त्री का संदेश
धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि यह यात्रा हिंदू धर्म को बचाने और भारत को ‘विश्वगुरु’ बनाने के प्रयास का हिस्सा है। उन्होंने जाति, भाषा और क्षेत्रीयता के विभाजन को समाप्त करने की अपील की। यात्रा बागेश्वर धाम से शुरू होकर 160 किलोमीटर का सफर तय कर 29 नवंबर को ओरछा में समाप्त होगी।
निष्कर्ष
धीरेंद्र शास्त्री और जयवर्धन सिंह के बयानों ने हिंदू एकता और जातिवाद के खिलाफ खड़े होने के संदेश को मजबूती दी है। यह यात्रा धार्मिक और राजनीतिक क्षेत्रों में चर्चा का विषय बनी हुई है, खासकर कांग्रेस पार्टी के भीतर।
On November 21, 2024, Dhirendra Krishna Shastri, the Peethadhishwar of Bageshwar Dham in Madhya Pradesh, launched the Hindu Ekta Yatra. The aim of this yatra is to promote unity within Sanatan Dharma and dismantle barriers of caste and creed. Political attention heightened when Congress MLA and son of former Chief Minister Digvijaya Singh, Jayawardhan Singh, participated in the yatra and expressed his support for Hindu unity and Sanatan Dharma.
Jayawardhan Singh’s Statement
Speaking during the yatra, Jayawardhan Singh stated:
> “This yatra is not about any political party but about Sanatan Dharma. It is essential to break caste barriers and unite society. If saints are proposing the creation of a Sanatan Board, it is a step in the right direction. We are devotees of Sanatan and will always remain so. India is naturally a Hindu nation because it is the birthplace of Hinduism.”
Jayawardhan emphasized the importance of Hindu unity and called for the eradication of caste-based discrimination, highlighting the significance of actions (karma). Citing Lord Krishna, he stressed that societal welfare can be achieved through righteous deeds.
Differences in Ideologies: Digvijaya Singh and Jayawardhan Singh
While Jayawardhan advocated for Hindu unity and Dharma, his father Digvijaya Singh has often expressed contrasting views. Digvijaya’s controversial statements on "saffron terrorism" have been a topic of discussion. Jayawardhan’s participation in the yatra is being seen as a reflection of his independent ideological stance.
Dhirendra Shastri’s Message
Dhirendra Shastri stated that the yatra is part of efforts to preserve Hinduism and establish India as a Vishwaguru (world leader). He appealed to eliminate divisions based on caste, language, and regionalism. The yatra began at Bageshwar Dham and will cover a distance of 160 kilometers, concluding in Orchha on November 29.
Conclusion
The statements by Dhirendra Shastri and Jayawardhan Singh have added significant weight to the call for Hindu unity and opposition to casteism. This yatra has become a focal point of discussion in both religious and political circles, especially within the Congress party.
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