अचानक जमीन में कंपन से थोड़ी देर के लिए लोग समझ नहीं पाए कि माजरा क्या है। घर में चौकी, पलंग, टीवी, पंखे व अन्य सामान हिलते नजर आए तो भूकंप का संदेह हुआ। कुछ इलाके में लोग मकान और फ्लैट बाहर भी निकल आए लेकिन कुछ सेकेंड में धरती हिलना बंद हो गया तो लोगों ने राहत की सांस ली।जियोलॉजिस्ट के अनुसार भूकंप का झटका झारखंड के लिए खतरे का संकेत हैं। विशेषकर रांची और सिंहभूम क्षेत्र के लिए। भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर लगभग 4.3 थी।
इसका मतलब हुआ कि झारखंड स्टेबल जोन में नहीं है। अब यह क्षेत्र भी अनस्टेबल हो रहा है। पहले भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे, पर वह माइल्ड होता था। इस बार काफी संवेदात्मक है, जो छोटानागपुर और आसपास क्षेत्र के भूगर्भ में होनेवाले हलचल की निशानी है। वैज्ञानिकों को माने तो करोड़ोंं सालों में झारखंड भूकंप से सुरक्षित जोन बन गया था, लेकिन काफी तेजी से जमीन की खुदाई कर और बढ़ते औद्योगिकी करण से यह फिर से भूकंप प्रभावित क्षेत्र में बदल सकता है। अगर आप जमीन को अंदर से खोखला करेंगे व धरती पर उसके अनुपात से अधिक वजन डालेंगे तो भूकंप जैसा दुष्परिणाम झेलना पड़ेगा।सबसे पहला सुनामी यहीं आया था
इस क्षेत्र में पहला भूकंप आने की जांच के लिए वर्ष 2006 में भारत, जापान और पोलैंड के वैज्ञानिकों ने शोध किया था। वैज्ञानिकों की टीम का नेतृत्व भारत के भू वैज्ञानिक रजत मजूमदार कर रहे थे। वैज्ञानिकों ने चाईबासा फॉर्मेशन अभियान के दौरान वहां के चट्टानों की जांच की थी। जांच स्थल पर दो से चार किलोमीटर मोटी सेडिमेंटरी (अवसादी) चट्टानों पर मरोड़ के निशान पाए गए थे। डॉ प्रियदर्शी के अनुसार, अवसादी चट्टानों में यह मरोड़ तेज भूकंप के आने पर धरती के सरकने से ही संभव है।
On Saturday, a 4.3-magnitude earthquake struck Jamshedpur and various parts of Kolhan at 9:20 am. The sudden tremors left residents bewildered, with household items like beds, TVs, and fans shaking. Some people rushed out of their homes and flats, only to breathe a sigh of relief as the quake subsided within seconds.
Geologists warn that this earthquake is a danger sign for Jharkhand, particularly Ranchi and Singhbhum regions. The 4.3 magnitude indicates that Jharkhand is no longer a stable zone. Previous earthquakes in the region were mild, but this one was more intense, signaling underground movements in the Chhotanagpur region.
Scientists suggest that Jharkhand's rapid industrialization and excessive underground excavation have made it prone to earthquakes. "If you hollow out the earth and overload it, you'll face consequences like earthquakes," they warn.
Notably, a 2006 joint research by Indian, Japanese, and Polish scientists, led by Indian geologist Rajat Mazumdar, discovered evidence of ancient earthquakes in the region. The Chaiabasa Formation expedition found sedimentary rocks with signs of intense tectonic activity.
Dr. Priyadarshi notes that the twisting patterns on these rocks could only be caused by significant earthquakes.
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