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Sunday, October 20, 2024

ऐसा शख्स जो चुनाव हारने पर भी निकालते थे जुलूस, दो बार चुने गये विधायक

गुमला विधानसभा से जनसंघ के टिकट पर 1967 व 1969 में दो बार विधायक रहे रोपना उरांव (अब स्वर्गीय) राजनीति की महान शख्सियत थे.
झारखंड: गुमला विधानसभा से जनसंघ के टिकट पर 1967 व 1969 में दो बार विधायक रहे रोपना उरांव (अब स्वर्गीय) राजनीति की महान शख्सियत थे. लेकिन, 1972 में कांग्रेस के बैरागी उरांव से हार गये. हालांकि, हारने के बाद भी रोपना शांत नहीं बैठे. उन्होंने पूरे गुमला शहर में जुलूस निकाला था. उनका जन्म 1936 में और निधन 1980 में हुआ था. सिर्फ 31 साल की उम्र में वह विधायक बने थे. जनसंघ में शामिल होने से पहले रोपना उरांव कांग्रेस कार्यकर्ता थे. 1967 में कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर वह जनसंघ में शामिल हो गये ओर अंतिम सांस तक जनसंघ से ही जुड़े रहे. चुनाव में जीत दर्ज करते हुए उन्होंने गुमला में जनसंघ की मजबूत नींव रखी.
गुमला में भाजपा की वर्तमान स्थिति का श्रेय रोपना उरांव को ही जाता है. वर्ष 1967 में कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने जनसंघ के सर्वमान्य नेता अटल बिहारी वाजपेयी से रांची दौरे के दौरान मिले और गुमला से टिकट मांगा. वाजपेयी जी ने रोपना उरांव से पूछा था कि टिकट आपको ही क्यों दें ? उन्होंने जवाब दिया : जनता के हित व जनसंघ की मजबूती के लिए. जवाब से प्रभावित होकर वाजपेयी जी ने गुमला से रोपना उरांव को टिकट दे दिया. इसके बाद रोपना उरांव ने चुनाव में जीत का झंडा गाड़ अपनी बात सही साबित की.

A Man Who Led Processions Even After Losing Elections, Twice Elected as an MLA

Ropna Oraon (now late), who was a two-time MLA from the Gumla Assembly constituency on a Jansangh ticket in 1967 and 1969, was a remarkable political personality.
In Jharkhand’s Gumla Assembly, Ropna Oraon was elected on a Jansangh ticket in 1967 and 1969. However, in 1972, he lost to Bairagi Oraon from the Congress. Despite his defeat, Ropna did not sit quietly. He organized a procession throughout the city of Gumla. Born in 1936, he passed away in 1980. At just 31 years of age, he became an MLA. Before joining the Jansangh, Ropna Oraon was associated with the Congress. When the Congress denied him a ticket in 1967, he switched to Jansangh and remained with the party until his last breath. Through his electoral victories, he laid a strong foundation for Jansangh in Gumla.The current position of the BJP in Gumla is credited to Ropna Oraon. In 1967, when he was denied a Congress ticket, he met Atal Bihari Vajpayee during his visit to Ranchi and sought a ticket from Jansangh. Vajpayee asked him, "Why should we give you the ticket?" To which Ropna replied, "For the welfare of the people and to strengthen the Jansangh." Impressed by his answer, Vajpayee granted him the ticket from Gumla. Ropna Oraon proved his words right by securing a victory in the election.

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