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Sunday, October 20, 2024

कला की धरती पर छऊ का जलवा: खरसावां में आयोजित फेस्टिवल का समापन


खरसावां छऊ नृत्य कला केन्द्र में सांस्कृतिक मंत्रालय भारत सरकार के अनुसंगी संस्थान पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र कोलकाता के सौजन्य से आयोजित सांस्कृतिक छऊ फेस्टिवल-2024 संर्पन्न हो गई। 
कार्यक्रम के अंतिम दिन खरसावां छऊ, सरायकेला छऊ, मानभूम छऊ, आदि  टीमें ने अपनी कला का प्रदर्शन कर लोगों की वाह वाही लूटी। छऊ फेस्टिवल का समापन आज छऊ की  तीनों शैलियो के समागम के साथ संपन्न हुआ। इस दौरान गुरु मलय कुमार साहू के नेतृत्व में केदार आर्ट सेंटर, सरायकेला के द्वारा भगवान श्री कृष्ण एवं माननी राधा की लीलाओं पर आधारित नृत्य राधा कृष्ण एवं कालिदास की रचना पर आधारित नृत्य मेघदूत का भव्य प्रदर्शन किया गया।  
भवेश छऊ नृत्य दल, देवरी डीह, खरसावां के द्वारा असत्य पर सत्य के विजय गाथा पर आधारित नृत्य महिष मर्दीनी, लोक कला मंच, खरसावां के द्वारा गुरु बसंत कुमार गतयात के नेतृत्व में झारखंड के प्रसिद्ध शिकार परंपरा पर आधारित  नृत्य शिकारी एवं  मानभूम लोक कल्याण संघ के गुरु संतोष कुमार महतो के नेतृत्व में कलाकारों के द्वारा भीम राक्षस वध छऊ नृत्य का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया गया। 
कार्यक्रम का उद्घाटन
पद्मश्री छुटनी महतो, राजा गोपाल चंद्र सिंह देव, संगीत नाटक अकेडमी अवॉर्डी गुरु तपन कुमार पटनायक ने मिलकर किया। मौके पर वक्ताओ ने कहा कि सरायकेला खरसावां शहीदों औंर कलाओ की धरती है। जिले में कितनी विभिन्नताओ से सुसज्जित है। जिले में जो देखा है और कहीं नहीं देखा। इसलिए सरायकेला खरसावां को कला की धरती कहा गया है। वक्ताओ ने कहा कि कला के क्षेत्र में सबको भागीदारी मिल रहा है। 
जिला का कला संस्कृति देश के साथ विदेशों में भी फैला हुआ है। यह हमारे लिए गर्व की बात है। इसी तरह से हम अपनी कला संस्कृति को बढ़ाते हुए आगे बढ़े। इस दौरान खरसावां चौक के पद्मश्री छुटनी महतो, प्रख्यात गुरु कामाख्या प्रसाद षाड़ंगी, गुरु  हरे कृष्णा पटनायक, गुरू मो दिलदार, छऊ गुरू शिवचरण साहु, बंसत गणतायत, पिनाकी रंजन, कमल महतो, सुदीप घोडाई आदि उपस्थित थे।
Kharsawan Hosts Chhau Festival: A Celebration of Art and Culture
The Chhau Festival-2024, organized by the Kharsawan Chhau Dance Art Center, an affiliate of the Eastern Zonal Cultural Center, Kolkata, under the aegis of the Ministry of Culture, Government of India, came to a close. On the final day, teams from Kharsawan Chhau, Seraikela Chhau, and Manbhum Chhau showcased their artistic prowess, leaving the audience in awe.
The festival concluded with a grand finale featuring a confluence of the three Chhau styles. Under the guidance of Guru Malay Kumar Sahu, Kedar Art Center, Seraikela, presented a captivating dance performance based on the divine love story of Radha Krishna and Kalidasa's Meghdoot.
Other notable performances included:
- Bhawesh Chhau Dance Group, Deori Dei, Kharsawan, presenting "Mahish Mardini," a dance drama depicting the triumph of truth over evil.
- Lok Kala Manch, Kharsawan, showcasing "Shikari," a dance inspired by Jharkhand's hunting traditions, under the guidance of Guru Basant Kumar Gatayat.
- Manbhum Lok Kalyan Sangh's performance of "Bhim Rakshas Vadh Chhau," a mythological dance drama, led by Guru Santosh Kumar Mahato.
The festival was inaugurated by Padma Shri Chhutni Mahato, Raja Gopal Chandra Singh Deo, and Sangeet Natak Akademi Award winner Guru Tapan Kumar Patnaik.
Speakers praised Kharsawan Seraikela as a land of martyrs and art, rich in diversity. They emphasized the importance of inclusivity in the field of art and the district's contribution to India's cultural heritage.
Prominent personalities present at the event included Padma Shri Chhutni Mahato, Guru Kamakhya Prasad Shadangi, Guru Hare Krishna Patnaik, Guru Mo Dildar, Chhau Guru Shiv Charan Sahu, Bansat Ganatayet, Pinaki Ranjan, Kamal Mahato, and Sudeep Ghodai, among others.


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