बासुकीनाथ में गैस सिलिंडर में धमाके से लगी भीषण आग, 58 दुकानें जलकर खाक ,करोड़ों का हुआ नुकसान
देवघर - बासुकीनाथ बाजार चूड़ी गली में शनिवार की रात भीषण अग्निकांड में छोटी-बड़ी 58 दुकानें जलकर खाक हो गईं। करीब पांच करोड़ से अधिक की संपत्ति का नुकसान हुआ। आग लगने के कारण का पता नहीं चल पाया है। संभावना व्यक्त की जा रही है कि शॉर्ट सर्किट या फिर किसी ने सिगरेट पीकर दुकान की ओर फेंक दिया हो। लोगों के अनुसार, आग मार्केट कॉम्पलेक्स की पूर्वी दिशा में स्थित दुकान में पहले लगी, और फिर देखते-देखते आग की लपटें इतनी तेजी से फैलीं कि सभी दुकानों को जलाकर खाक कर दिया।
माइकिंग से किया गया अलर्ट
आग पर काबू पाने के लिए मंदिर कार्यालय स्थित ध्वनि प्रसारण यंत्र से माइकिंग की गई। सभी लोग अपने-अपने घरों में गहरी नींद में सो रहे थे। जानकारी होते ही सभी अपने-अपने दुकान बचाने के लिए बाजार की ओर भागे, लेकिन आग की लपटें इतनी तेजी से बढ़ रही थीं कि किसी ने भी अपने जलते दुकान को बचाने की हिम्मत नहीं जुटा पाई, और सभी के सामने दुकान जलकर खाक हो गया। बासुकीनाथ स्थित अधिकांश दुकानें बांस, बल्ला और प्लास्टिक से घेर कर बनाई गई हैं। जिस कारण आग तेजी से फैल गई। आग की भयावहता के आगे सभी प्रयास बेकार गए।
Deoghar - In a devastating fire incident in Chudi Gali, Basukinath market on Saturday night, 58 shops, both small and large, were completely burned down. The property loss is estimated to be over five crores. The cause of the fire has not yet been determined. It is suspected that it might have been caused by a short circuit or someone discarding a cigarette into a shop. According to locals, the fire first broke out in a shop located in the eastern part of the market complex, and in no time, the flames spread rapidly, engulfing all the shops.
Alert Issued via Public Announcement
To control the fire, an announcement was made using a sound broadcasting system from the temple office. All the people were deep in sleep in their homes. As soon as they were informed, everyone rushed to save their shops, but the flames were spreading so rapidly that no one was able to muster the courage to save their burning shops, and all of them turned to ashes before their eyes. Most of the shops in Basukinath are constructed using bamboo, rods, and plastic, which allowed the fire to spread quickly. All efforts were in vain against the severity of the fire.
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