Train Owner: यह मामला 2007 का है. उस समय लुधियाना-चंडीगढ़ रेलवे लाइन के निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण का काम चल रहा था. इस प्रक्रिया के तहत भारतीय रेलवे ने पंजाब के कटाना गांव के किसान संपूर्ण सिंह की जमीन का भी अधिग्रहण किया था.
आपने कभी रतन टाटा, मुकेश अंबानी या गौतम अदाणी जैसे अरबपतियों को ट्रेन खरीदते हुए सुना है? नहीं न. यह भारत है और भारत चमत्कारों वाला देश है. इस देश में भले ही टाटा-अंबानी ने ट्रेन नहीं खरीदी हो, लेकिन एक आदमी ऐसा है, जिसने मुआवजे के तौर पर ट्रेन ही मांग लिया. रेलवे ने उसे देने से इनकार किया, तो अदालत का दरवाजा खटखटा दिया और थक-हारकर रेलवे ने उस आदमी को ट्रेन का मालिक ही बना दिया . उस आदमी का नाम संपूर्ण सिंह है और संपूर्ण सिंह पेशे से पंजाब के किसान हैं.
रेलवे के भेदभाव से नाराज संपूर्ण सिंह पहुंचे अदालत
स्क्रॉल डॉट इन की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला 2007 का है. उस समय लुधियाना-चंडीगढ़ रेलवे लाइन के निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण का काम चल रहा था. इस प्रक्रिया के तहत भारतीय रेलवे ने पंजाब के कटाना गांव के किसान संपूर्ण सिंह की जमीन का भी अधिग्रहण किया था. शुरुआत में किसान संपूर्ण सिंह को रेलवे ने 25 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से जमीन का मुआवजा दिया. कुछ ही दिन बाद किसान संपूर्ण सिंह को पता चला कि बगल के गांव के किसानों को रेलवे ने 71 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया है. रेलवे के इस भेदभाव से संपूर्ण सिंह नाराज हो गए और उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया.
संपूर्ण सिंह ने अदालत में किया मुआवजे का दावा
संपूर्ण सिंह की ओर से साल 2012 में अदालत में दावा किया कि रेलवे के अधिकारियों ने उनकी जमीन के मुआवजे का करीब लगभग 1.05 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया है. अदालत में करीब तीन साल तक सुनवाई चलने के बाद जनवरी 2015 में फैसला किसान संपूर्ण सिंह के पक्ष में आया. अदालत ने रेलवे को आदेश दिया कि वह मुआवजे की बाकी रकम का भुगतान जल्द ही कर दे. इसके साथ ही, अदालत ने मुआवजे की रकम बढ़ाकर 50 लाख रुपये प्रति एकड़ कर दी. फिर भी रेलवे ने मुआवजे की रकम किसान संपूर्ण सिंह को नही दी.
अदालत के आदेश पर ट्रेन को जब्त कर मालिक बने संपूर्ण सिंह
रेलवे की ओर से मुआवजे की रकम का भुगतान नहीं करने पर अदालत भी नाराज हो गया. मार्च 2017 में जिला एवं सत्र न्यायाधीश जसपाल वर्मा ने अपने ऐतिहासिक फैसले में मुआवजे की बकाया रकम वसूलने के लिए दिल्ली-अमृतसर स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस के साथ-साथ लुधियाना के स्टेशन मास्टर का कार्यालय जब्त करने का आदेश दे दिया. अदालत का आदेश मिलते ही किसान संपूर्ण सिंह 15 मार्च 2017 को अदालत के आदेश की कॉपी लेकर लुधियाना स्टेशन पर पहुंच गए और 20 कोच वाली ट्रेन समेत स्टेशन मास्टर का कार्यालय जब्त कर लिया. ट्रेन जब्त करने के बाद किसान संपूर्ण सिंह कुछ समय के लिए उसका मालिक बन गए. मीडिया से बातचीत में संपूर्ण सिंह ने कहा था कि वे ट्रेन में सवार यात्रियों को परेशान नहीं करना चाहते थे, इसलिए उसे गंतव्य तक जाने दिया.
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