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Saubhagya Bharat News

हम सौभाग्य भारत देश और दुनिया की महत्वपूर्ण एवं पुष्ट खबरें उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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बुधवार, 10 दिसंबर 2025

झारखंड नेशनल फिल्म फेस्टिवल (JNFF 2025) का दूसरा दिन: फिल्म स्क्रीनिंग और वर्कशॉप का शानदार संगम!

जमशेदपुर: झारखंड नेशनल फिल्म फेस्टिवल (JNFF 2025) का दूसरा दिन स्रीनाथ यूनिवर्सिटी ऑडिटोरियम और माइकल जॉन ऑडिटोरियम, बिष्टुपुर दोनों स्थानों पर फिल्म प्रेमियों के लिए ज्ञान और मनोरंजन का एक शानदार संगम लेकर आया।

दूसरे दिन, स्रीनाथ यूनिवर्सिटी ऑडिटोरियम में ECHOES (इकोज़), THE HOMECOMING (द होमकमिंग), KAARA-A CUSTOM (कारा-ए कस्टम) और PAGAL BANAI DIYE RE (पागल बनाई दिये रे) जैसी बेहद संवेदनशील और प्रभावशाली फिल्मों का प्रदर्शन किया गया। हर फिल्म ने अपनी कहानी और प्रस्तुति से दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ी।

इसके साथ ही, माइकल जॉन ऑडिटोरियम, बिष्टुपुर में भी IN HER TIME (इन हर टाइम), VOY (वॉय), BODY (बॉडी), DEAD MAN'S SWITCH (डेड मैन्स स्विच) और AANYA DULAR RE (आन्या दुलार रे) जैसी बेहतरीन फिल्मों की विशेष स्क्रीनिंग ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।


    स्रीनाथ यूनिवर्सिटी में खास फिल्म मेकिंग वर्कशॉप

JNFF 2025 का मुख्य आकर्षण रहा इस कार्यशाला में एक कुशल फिल्म निर्माता टीवी शो 'शक्तिमान' की निर्माण टीम में काम करने का गौरव प्राप्त कर चुके संजय भारती द्वारा फिल्म निर्माण से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई, जिससे युवा फिल्मकारों और छात्रों को कैमरे के पीछे की बारीकियों को समझने का मौका मिला। वर्कशॉप में मौजूद विशेषज्ञों ने छात्रों के साथ अपने अनुभव साझा किए और उनके सवालों का जवाब दिया।

JNFF के फाउंडर संजय सतपथी ने कहा, "फिल्मों के प्रदर्शन के साथ-साथ, हमारा उद्देश्य युवा प्रतिभाओं को सीखने का मौका देना भी है। यह वर्कशॉप उसी दिशा में एक कदम है।"

दर्शकों और वर्कशॉप में शामिल प्रतिभागियों ने JNFF के इस प्रयास की जमकर सराहना की। इस दोहरे आयोजन ने JNFF 2025 के दूसरे दिन को सफल और प्रेरणादायक बना दिया।

झारखंड: अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

झारखंड मानव अधिकार संघ' जमशेदपुर और नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में दिनांक 10/12/2025 को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस। के अवसर पर नेताजी विश्वविद्यालय परिसर में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। "मानवाधिकार के संरक्षण में 'राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग' की सार्थकता एवं भूमिका" विषय पर झा. मा. अ. सं. के अध्यक्ष श्री मनोज किशोर की अध्यक्षता में इस एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया।

सार्वभौम मानवाधिकार घोषणा (Universal Declaration of Human Rights) (UDHR) को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आज ही के दिन 10 दिसंबर 1948 को अपनाया गया था। तभी से पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस 10 दिसंबर को उत्साहपूर्वक मनाया जाता है.



इस कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि, मृत्युंजय महतो,सेवानिवृत् जिला एवं सत्र न्यायाधीश दुमका, सम्मानित अतिथि सह मुख्य वक्ता, नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. प्रोफेसर प्रभात कुमार पाणी, विशिष्ट अतिथि बृजमोहन कुमार भूतपूर्व(I.A.S.) भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी, अन्य सम्मानित वक्ताओं के रूप में मनोज कुमार सिंह, सांसद प्रतिनिधि राज्यसभा, अवधेश कुमार गिरी, दिनेश कुमार किनू कार्यक्रम में शामिल हुए।

कार्यक्रम की शुरुआत नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय के सांस्कृतिक ग्रुप के छात्र-छात्राओं द्वारा झारखंड के पारंपरिक वेशभूषा में अतिथि वक्ताओं के स्वागत नृत्य के साथ की गई।

इसके पश्चात मुख्य अतिथि एवं सम्मानित अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की गई. तत्पश्चात सांस्कृतिक ग्रुप के छात्राओं द्वारा गणेश वंदना, साईं भजन एवं राष्ट्रीय गान के साथ कार्यशाला की औपचारिक शुरुआत की गई। कार्यशाला के पहले सत्र में प्रोफेसर दीपिका कुमारी ने मुख्य अतिथि, सम्मानित अतिथियों एवं सभागार में उपस्थित विद्यार्थियों तथा संघ के कार्यकर्ताओं का स्वागत करते हुए स्वागत भाषण दिया। संघ के क्रियाकलापों एवं सेमिनार के विषय का विषय प्रवेश श्री मनोज किशोर संघ के अध्यक्ष द्वारा किया गया।

 मनोज किशोर ने संघ की पृष्ठभूमि तथा क्रियाकलापों की विस्तार से जानकारी दिया। उन्होंने कहा *विश्वविद्यालय के परिसर में इस कार्यक्रम का आयोजन करने का उद्देश्य यह है कि विद्यार्थियों के बीच मानव सेवा एवं मानव अधिकार के क्रियान्वयान्वन हेतु अभिरुचि जागृत हो तथा इस क्षेत्र में वे समाज में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके। जन्म से लेकर मृत्यु तक,यहां तक की मां की कोख में भ्रूण अवस्था से ही किसी भी मनुष्य की नैसर्गिक एवं प्रकृति प्रदत्त अधिकारों की रक्षा हेतू अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा सार्वभौम मानव अधिकार घोषणा (universal declaration of Human Rights) की घोषणा 10 दिसंबर 1948 को किया गया तथा इस तिथि से अपनाया गया तथा लगभग 45 साल के उपरांत मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 को भारत सरकार ने पारित किया तथा इस तिथि से इसे भारत में अपनाया गया. इसमें कल 30 अनुच्छेद हैं जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानव अधिकार की रक्षा पूरे विश्व में करता है।*

*भारत के सभी नागरिक अपने अधिकारों के साथ साथ अपने कर्तव्यों के प्रति भी सजग रहें- मृत्युंजय महतो*

 मुख्य अतिथि एवं पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश मृत्युंजय महतो ने अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार के सभी अनुच्छेदों के अलावा भारतीय कानून के पहलुओं एवं दृष्टिकोण से मानव अधिकार के कानून के बारे में जानकारी प्रदान करते हुए कहा *उपरोक्त कानून के अलावा भी भारतीय कानून में आम नागरिकों के हितों के लिए बहुत सारे कानून बने हुए हैं हमें सजगता एवं ईमानदारी पूर्वक उन कानून का अनुपालन करवाना चाहिए। आम नागरिक हो अथवा न्यायिक या प्रशासनिक पदों पर बैठे लोगों को अपने कर्तव्यों का निर्वहन यदि ईमानदारी पूर्वक किया जाए तो किसी भी मनुष्य की मानवाधिकार का हनन नहीं होगा।*

मुख्य वक्ता प्रख्यात शिक्षाविद् एवं नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय के कुलपति ने प्रभावशाली तरीका से उपरोक्त विषय पर प्रकाश डालते हुए भारत में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की सफलता एवं विफलता पर प्रकाश डाला।

पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी, पूर्व कोल्हान आयुक्त और झारखंड में सचिव स्तर के पद पर कार्य कर चुके बृजमोहन कुमार ने उपरोक्त विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा *कोई भी कानून तब तक सार्थक नहीं होगा जब तक आम नागरिक खुद सचेत होकर अपने अधिकार की रक्षा के लिए अपना आवाज बुलंद नहीं करेगा. इस संदर्भ में उन्होंने अपना प्रशासनिक अनुभव को विद्यार्थियों एवं मानवाधिकार के कार्यकर्ताओं के साथ साझा किया।*

कार्यक्रम का सफल संचालन अस्सिटेंट प्रोफेसर दीपिका कुमारी ने किया तथा मानवाधिकार संघ के सहसचिव श्री शेखर सहाय ने धन्यवाद ज्ञापन देते हुए नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एम.एम.सिंह, कुलपति प्रोफेसर प्रभात कुमार पाणी, कुलसचिव नागेंद्र सिंह, विश्वविद्यालय के अन्य प्रशासनिक और एकेडमिक अधिकारियों, सम्मानित अतिथियों, विद्यार्थियों, कार्यकर्ताओं, प्रेस मीडिया के संवाददाताओं का धन्यवाद तथा आभार प्रकट किया।

*अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन*

इस कार्यशाला में नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय के एमबीए, मास कॉम और लॉ विभाग के लगभग डेढ़ सौ विद्यार्थी शामिल हुए। इसके अलावा लगभग एक सौ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भी अपनी सहभागिता सुनिश्चित की।

सभी ढाई सौ प्रतिभागियों के मध्य सर्टिफिकेट एवं अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार से संबंधित अंकित सभी 30 अनुच्छेदों का वर्ष 2026 के कैलेंडर का वितरण किया गया।

कार्यक्रम में निम्नलिखित गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे श्री मृत्युंजय महतो पूर्व न्यायाधीश, श्री बृजमोहन कुमार,पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), प्रोफेसर प्रभात कुमार पाणी, कुलपति, नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय, श्री अवधेश गिरी,श्री मनोज किशोर श्री दिनेश कुमार कीनू डॉक्टर वनिता सहाय डॉक्टर एक अखौरी, श्री संतोष सिंह श्री अमित गिरी श्री विक्रम सिंह,श्री सौरव गिरी,श्री नवीन श्रीवास्तव श्री शेखर कुमार सहाय, श्री मनोज सिंह,श्री संतोष पांडे, प्रोफेसर दीपिका पांडे,श्री राजेंद्र यादव, श्री भीष्म सिंह,श्री पन्ना सिंह, श्री संजय कुमार सिंह आदि उपस्थित थे.

बहरागोड़ा:— पशु ऋण योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा हड़पने का आरोप........

बहरागोड़ा संवाददाता 


बहरागोड़ा: बहरागोड़ा प्रखंड क्षेत्र के  गुहियापाल पंचायत अंतर्गत बांकदह गांव में पशु ऋण योजना को लेकर कथित धोखाधड़ी का गंभीर मामला सामने आया है। गांव निवासी द्विजेन राउत ने दो एजेंटों पर ऋण की पूरी राशि हड़प लेने का आरोप लगाया है। आरोप है कि एजेंटों ने ऋण दिलाने के नाम पर फॉर्म भरवाया, उनके घर के पशुओं की तस्वीरें लीं और फिर बैंक से ऋण की पूरी रकम निकाल ली, लेकिन पीड़ित को एक रुपया भी नहीं दिया गया।आरोपियों में गुड़ाबन्दा निवासी विजोलिया हिमांशु बेरा और मनोहर सिंह के नाम सामने आए हैं। पीड़ित का कहना है कि एजेंटों ने भरोसा दिलाया था कि पशु ऋण स्वीकृत होते ही राशि उन्हें दी जाएगी, लेकिन रकम निकलने के बाद दोनों एजेंट गायब हो गए।बुधवार को पीड़ित द्विजेन राउत ने बहरागोड़ा के प्रखंड विकास पदाधिकारी को उपायुक्त के नाम एक लिखित ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में उन्होंने बताया कि करीब तीन महीने पहले एजेंटों ने उन्हें झांसे में लेकर सभी औपचारिकताएं पूरी कराईं और पशुओं को दिखाकर बैंक से पूरी राशि निकाल ली। इसके बावजूद अब तक उन्हें कोई पैसा नहीं मिला है।मामले ने तब और तूल पकड़ लिया जब पीड़ित ने अपनी शिकायत सीपीआई(एम) के पार्टी कार्यालय में दर्ज कराई। शिकायत की गंभीरता को देखते हुए सीपीआई(एम) के राज्य सदस्य स्वपन कुमार महतो और अंचल सचिव चित्त रंजन महतो पीड़ित को लेकर सीधे प्रखंड कार्यालय पहुंचे।नेताओं ने बीडीओ को ज्ञापन सौंपते हुए पूरे मामले की गहन जांच कराने और दोषी एजेंटों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि यदि पशु ऋण जैसी योजनाओं में इस तरह की धोखाधड़ी होती रही, तो आम ग्रामीणों का सरकारी योजनाओं से भरोसा उठ जाएगा।

बहरागोड़ा:-मोधाबेड़ा मध्य विद्यालय में शिक्षक संकट........

बहरागोड़ा संवाददाता 

बहरागोड़ा: बहरागोड़ा प्रखंड क्षेत्र के पाथरी पंचायत अंतर्गत मोधाबेड़ा मध्य विद्यालय में शिक्षा व्यवस्था गंभीर संकट से गुजर रही है। केजी से लेकर आठवीं कक्षा तक नामांकित 100 से अधिक विद्यार्थियों की पढ़ाई केवल दो शिक्षकों के सहारे चल रही है। इस हालात ने न सिर्फ स्कूल की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि बच्चों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर भी खतरा पैदा कर दिया है।विद्यालय में कार्यरत दोनों शिक्षक प्राथमिक कक्षाओं (कक्षा 1 से 5) के लिए नियुक्त हैं। बावजूद इसके, शिक्षक कमी के कारण उन्हें छठी से आठवीं कक्षा तक भी पढ़ाना पड़ रहा है। जबकि इन कक्षाओं में गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों के लिए विषय-विशेषज्ञ शिक्षकों की जरूरत होती है। यह व्यवस्था शिक्षा विभाग के तय मानकों के अनुरूप नहीं है।शिक्षकों की कमी के चलते स्कूल में रोजाना बहुवर्गीय शिक्षण व्यवस्था अपनाई जा रही है। यानी एक ही शिक्षक को एक साथ कई कक्षाओं और अलग-अलग विषयों को पढ़ाना पड़ता है। इसका सीधा असर पढ़ाई की गुणवत्ता पर पड़ रहा है। न तो पाठ्यक्रम समय पर पूरा हो पा रहा है और न ही बच्चों को विषयों की स्पष्ट समझ मिल पा रही है। स्थानीय अभिभावकों और ग्रामीणों ने इस स्थिति पर गहरी नाराजगी और चिंता जताई है। उनका कहना है कि इतनी कम शिक्षक संख्या में बच्चों को सही मार्गदर्शन मिल ही नहीं सकता। ग्रामीणों का कहना है, “बच्चों को न विज्ञान ढंग से पढ़ाया जा रहा है, न गणित समझ में आ रहा है। आगे की पढ़ाई के लिए उनकी नींव कमजोर हो रही है।” लोगों ने प्रशासन से जल्द से जल्द अतिरिक्त शिक्षकों की नियुक्ति की मांग की है।यह समस्या केवल मोधाबेड़ा मध्य विद्यालय तक सीमित नहीं है। राज्य के कई ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में स्कूल इसी तरह शिक्षक संकट से जूझ रहे हैं। असंतुलित शिक्षक–छात्र अनुपात और प्रशासनिक उदासीनता के कारण हजारों बच्चों का शैक्षणिक भविष्य सवालों के घेरे में है।

राजनगर में लगा आयुष स्वास्थ्य शिविर, 120 लोगों को मिली नि:शुल्क दवा

राजनगर प्रखंड के अंतर्गत मुड़ियापाडा.राजनगर में निशुल्क आयुष चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया मुख्य अतिथि के रूप में मुखिया मेडम राजो टुडू ने फीटा काट कर आयुष स्वास्थ्य शिविर का उद्घाटन किया गया आस-पास के गांवों से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे. शिविर में आये महिला-पुरुषों ने आयुष चिकित्सकों को अपनी स्वास्थ्य समस्याएं बतायी. मौके पर डॉ. सविता सिंह और डा. विभूति ने आथोराईटिस बुखार, सिरदर्द, घुटना दर्द, पेट दर्द, दाद – खुजली, कमर दर्द आदि विभिन्न रोगों की जांच कर लगभग 120 लोगों को नि:शुल्क दवा वितरण किया. योग प्रशिक्षक ईश्वर चंद्र महतो ने लोगों को कई महत्वपूर्ण योगासन, प्राणायाम और व्यायामों की जानकारी देकर रोगों से बचाव के उपाय भी बताये. मुखिया मेडम ने बताया कि गांव के लोगों को आयुष पद्धति की दवाओं से उन्हें काफी लाभ मिल रही है, इसलिए वे नियमित रूप से ऐसे शिविरों में भाग लेते हैं. शिविर में सहिया भी उपस्थित थी.






खरसावां: आवासीय फुटबाल प्रशिक्षण केंद्र के तीन खिलाड़ियों का राष्ट्रीय चैंपियन बनने पर भव्य स्वागत

स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के तहत होने वाले अंदर 14 फुटबॉल टूर्नामेंट में आवासीय फुटबाल प्रशिक्षण केंद्र का के तीन खिलाड़ियों का खरसावां पहुंचने पर चांदनी चौक में भव्य स्वागत किया गया. झारखंड की टीम ने पंजाब को फाइनल मैच में 6-5 से पराजित कर नेशनल चैंपियन बनने का खिताब हासिल किया और सबसे बड़ी बात आवासीय फुटबाल प्रशिक्षण केंद्र के शैलेश बड़ा ने मैन ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब भी प्राप्त किया. झारखंड राज्य की टीम में शुभांशु ,शैलेश बेहरा और आकाश मुर्मू की तिगड़ी ने हिमाचल प्रदेश मणिपुर दिल्ली समेत टीमों को खूब नचाया. इन खिलाड़ियों की उपलब्धि पर सरायकेला खरसावां जिला के खेल पदाधिकारी अमित कुमार सरायकेला खरसावां जिला स्पोर्ट्स एसोसिएशन के सचिव मोहम्मद दिलदार पिनाकी रंजन कोच बलराम महतो और संजय सुंडी भावेश मिश्रा , संजय महतो, विजय डिग्गी समिति खेल प्रेमियों ने खिलाड़ियों को माला पहनकर मिठाई खिलाकर और पटाखा फोड़ कर चांदनी चौक में जोरदार स्वागत किया.




बालीगुमा: विजय सेना द्वारा दो दिवसीय निःशुल्क मेगा कैंप का सफल आयोजन

बालीगुमा: "विजय सेना" द्वारा आयोजित एक निःशुल्क दो दिवसीय मेगा कैंप सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। लगातार कई वर्षों से विजय सेना का प्रयास रहा है कि विभिन्न क्षेत्रों में केंद्र व राज्य सरकार की लाभकारी योजनाओं व स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ गरीब व जरूरतमंद परिवारों तक पहुँचे और समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े लोग इन योजनाओं से जुड़ सकें।






बालीगुमा स्थित सुकना बस्ती में आयोजित इस विशेष शिविर के माध्यम से जरूरतमंद लोगों व गरीब परिवारों को राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड, हेल्थ कार्ड, ई-श्रम कार्ड जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं से जोड़ा गया, ताकि उन्हें सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ मिल सके।

मेगा कैंप के समापन अवसर पर विजय सेना के अध्यक्ष श्री तहसीन हाशमी (बंटी जी) ने कहा कि हजारों लोग विजय सेना के लगाए गए इस प्रकार के शिविरों से लाभान्वित हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य में भी विजय सेना राजनीति, जाति-पाति से ऊपर उठकर, केवल लोगों की सेवा के अपने मूल उद्देश्य पर कार्य करती रहेगी।

इस सफल आयोजन पर विजय सेना के संरक्षक श्री विजय सोय ने सभी सदस्यों व स्वयंसेवकों का हृदय से आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि टीम के द्वारा किया गया यह सेवा-कार्य जरूरतमंद परिवारों को वास्तविक राहत और सहयोग प्रदान करेगा।

इस अवसर पर शिविर में श्री डी. मिश्रा जी, श्री सूरज हांसदा जी, श्री सिकंदर सोय sultan ahmad ji irshad जी सहित संगठन के अन्य पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता विशेष रूप से उपस्थित रहे।


खरसावा सीएचसी भवन निर्माण में देरी का मुद्दा सदन में उठा

झारखंड विधानसभा के शून्य काल और तारांकित प्रश्न काल में खरसावा विधायक दशरथ गागराई ने धीमी गति से चल रहे नये सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र निर्माण कार्य स्वास्थ्य व्यवस्था से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दे को सरकार के समक्ष उठाया। 


वित्तीय वर्ष 2022-23 में स्वीकृत इस योजना को अब तक पूर्ण हो जाना था परंतु 50 फीसदी भौतिक लक्ष्य भी अब तक हासिल नहीं किया जा सका है। विधायक ने सदन के माध्यम से सरकार से यह मांग की कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खरसावा के लिए बन रहे नए भवन के निर्माण कार्य को शीघ्र पूर्ण कराया जाय।









जमशेदपुर: सर्वे भवन्तु सुखिन सर्वे संतु निरामया ही है मानवाधिकार की मूल प्रेरणा -डा ए के झा

मानवाधिकार सिद्धांत एवं व्यवहार विषय पर एल बी एस एम कॉलेज जमशेदपुर के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित एक दिवसीय सेमिनार में मुख्य वक्ता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अशोक कुमार झा, वक्ता के रूप में डॉ अजेय वर्मा, डॉ कमलेश कुमार कमलेंदु, डॉ मौसमी पॉल ने अपने वक्तव्य रखे।

वेदों में जन विश से होकर गुजरते हुए भारतीय आदिवासी स्वशासन व्यवस्था जो व्यक्ति मात्र के सम्मान के प्रति सामूहिक चेतना के साथ उत्प्रेरित है। वास्तव में मानवाधिकार की मूल अवधारणा को आकर प्रदान करता है।




 *"सं गच्छध्वम् सं वदध्वम्" "वसुधैव कुटुंकम" के साथ "परोपकार: पुन्याय पापाय परपीड़नम" की अवधारणा ही सम्यक मानवाधिकार का आधार हो सकता है। ये बातें राजनीति विज्ञान विभाग में आयोजित सेमिनार में मुख्य वक्ता डॉ ए के झा ने कही।* 

अतिथियों का स्वागत एवं विषय प्रवेश करते हुए राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष *डॉ* *विनय कुमार गुप्ता ने कहा कि* 

 *आज जिस विषय पर हम विचार-विमर्श के लिए एकत्र हुए हैं — “मानवाधिकार: सिद्धांत एवं व्यवहार” — वह विषय केवल कानून, राजनीति विज्ञान या समाजशास्त्र का विषय नहीं है, बल्कि यह समस्त मानव सभ्यता के नैतिक और बौद्धिक विकास का केंद्रबिंदु है। मानवाधिकार किसी राष्ट्र की देन नहीं हैं, बल्कि वे मनुष्य के जन्मसिद्ध अधिकार हैं, जो उसकी गरिमा, स्वतंत्रता, समानता और सम्मान की रक्षा करते हैं।* 

मानवाधिकारों की अवधारणा इस विचार पर आधारित है कि हर मनुष्य, सिर्फ मनुष्य होने के कारण, कुछ मूलभूत अधिकारों का अधिकारी है। ये अधिकार जाति, धर्म, रंग, भाषा, लिंग, आर्थिक स्थिति या सामाजिक पृष्ठभूमि से परे हैं। मानवाधिकारों का मूल उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी व्यक्ति अमानवीय व्यवहार, अन्याय, शोषण या भय के वातावरण में जीवन व्यतीत न करे।

ऐतिहासिक दृष्टि से देखें तो मानवाधिकारों का विचार अचानक उत्पन्न नहीं हुआ, बल्कि यह मानव समाज के लंबे संघर्षों, आंदोलनों और अनुभवों का परिणाम है। प्राचीन भारतीय दर्शन में “सर्वे भवन्तु सुखिनः” जैसी अवधारणाएँ, बुद्ध की करुणा, महावीर का अहिंसा सिद्धांत, यूनानी दार्शनिकों की प्राकृतिक न्याय की अवधारणा, मैग्नाकार्टा, फ्रांसीसी क्रांति और अंततः 1948 की संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा — ये सभी मानवाधिकारों के विकास की महत्वपूर्ण कड़ियाँ हैं।

आज के वैश्विक परिदृश्य में मानवाधिकार केवल नैतिक उपदेश नहीं रह गए हैं, बल्कि वे संवैधानिक, कानूनी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सिद्धांत बन चुके हैं।प्रत्येक लोकतांत्रिक देश का यह दायित्व है कि वह अपने नागरिकों की गरिमा की रक्षा करे और उनके अधिकारों को वास्तविक रूप से लागू करे। भारत जैसे देश में, जहाँ सामाजिक विविधता, आर्थिक असमानता और सांस्कृतिक बहुलता है, वहाँ मानवाधिकारों का महत्व और भी बढ़ जाता है। भारत का संविधान मानवाधिकारों का एक सशक्त दस्तावेज है, जो समानता, स्वतंत्रता,धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय की भावना पर आधारित है।

वक्ता के रूप में शामिल *डा अजेय वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा दिए गए इस संबंध में दिए गए निर्णयों का उल्लेख किया तथा मानवाधिकारों के आयामों में किस प्रकार से विस्तार हुआ उसका वृहत रूप से उल्लेख किया।** 

वक्ता *डॉ कमलेश कुमार कमलेंदु ने कहा कि मानवाधिकार हमें मानव होने के नाते मिला है। अन्य को नहीं मिला है। मानवाधिकार आयोग उसकी रक्षा करता है।* 

समापन एवं ध्यानवाद ज्ञापन करते हुए आईक्यूएसी समन्वयक *डॉ मौसमी पॉल ने कहा कि समकालीन परिदृष्य में मानवाधिकार के साथ साथ मानव अधिकार कर्तव्य के विषय में सचेतन होने की जरूरत है।* 

कार्यक्रम *संचालन राजनीति विज्ञान विभाग के प्रो विकास मुंडा ने किया।राष्ट्रगान के साथ सेमिनार का समापन हुआ।* इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉ *दीपांजय श्रीवास्तव,प्रो पुरुषोत्तम प्रसाद, प्रो संतोष राम, डॉ सुष्मिता धारा, डॉ सुधीर कुमार सहित सैकड़ों विद्यार्थी उपस्थित रहे।*





आईएमएफ ने भारत के यूपीआई को दुनिया का सबसे बड़ा रियल-टाइम पेमेंट सिस्टम माना…

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) को लेनदेन की मात्रा के आधार पर दुनिया के सबसे बड़े रियल-टाइम पेमेंट सिस्टम के रूप में मान्यता दी है। यह जानकारी सरकार ने सोमवार को दी।



वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि यह तथ्य आईएमएफ की जून 2025 की रिपोर्ट ‘बढ़ते खुदरा डिजिटल भुगतान (इंटरऑपरेबिलिटी की वैल्यू)’ में दर्ज किया गया है।

यूपीआई वैश्विक सूची में शीर्ष पर

इसके अलावा, एसीआई वर्ल्डवाइड की ‘प्राइम टाइम फॉर रियल-टाइम 2024’ रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक रियल-टाइम भुगतान प्रणाली में 49% हिस्सेदारी और 129.3 अरब लेनदेन के साथ यूपीआई वैश्विक सूची में शीर्ष पर है।

ब्राजील 14% बाजार हिस्सेदारी और 37.4 अरब लेनदेन के साथ दूसरे स्थान पर है, जबकि थाईलैंड 8% हिस्सेदारी और 20.4 अरब लेनदेन के साथ तीसरे स्थान पर है। चीन 6% हिस्सेदारी और 17.2 अरब लेनदेन के साथ चौथे स्थान पर है।

यूपीआई समेत डिजिटल भुगतान प्रणालियों को अपनाने में सहायता प्रदान करने के लिए सरकार, आरबीआई और एनपीसीआई द्वारा समय-समय पर कई पहल की गई

केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि छोटे व्यापारियों को यूपीआई समेत डिजिटल भुगतान प्रणालियों को अपनाने में सहायता देने के लिए सरकार, भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा समय-समय पर कई पहल की गई हैं।

भीम-यूपीआई लेनदेन को प्रोत्साहित करने के लिए इंसेंटिव योजना

इन पहलों में कम मूल्य के भीम-यूपीआई लेनदेन को प्रोत्साहित करने के लिए इंसेंटिव योजना और पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (पीआईडीएफ) शामिल हैं। इसके तहत टियर-3 से टियर-6 शहरों में डिजिटल भुगतान अवसंरचना- जैसे पीओएस टर्मिनल और क्यूआर कोड स्थापित करने के लिए बैंकों और फिनटेक कंपनियों को अनुदान दिया जाता है।

पीआईडीएफ के माध्यम से लगभग 5.45 करोड़ डिजिटल टचपॉइंट स्थापित

मंत्री ने बताया कि 31 अक्टूबर 2025 तक टियर-3 से टियर-6 केंद्रों में पीआईडीएफ के माध्यम से लगभग 5.45 करोड़ डिजिटल टचपॉइंट स्थापित किए जा चुके हैं। इसके अलावा, वित्त वर्ष 2024-25 तक करीब 6.5 करोड़ व्यापारियों के लिए 56.86 करोड़ क्यूआर कोड लगाए गए हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार, आरबीआई और एनपीसीआई ने देशभर में सार्वजनिक सेवाओं, परिवहन और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म तक में रुपे और यूपीआई आधारित डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं।

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